रेसलर प्रतीक ने की पुलिस अधीक्षक पाण्डेय से सौजन्य मुलाकात

रेसलर प्रतीक ने की पुलिस अधीक्षक पाण्डेय से सौजन्य मुलाकात
एसपी ने दिया महत्वपूर्ण सुझाव और मार्गदर्शन
अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
जांजगीर चांपा – राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश विदेश में आयोजित मौत के मुकाबले में भारत का नाम रोशन करने वाले छत्तीसगढ़ के एकमात्र नामी रेसलर प्रतीक तिवारी ने आज पुलिस अधीक्षक कार्यालय में नवपदस्थ पुलिस अधीक्षक विजय पाण्डेय (आईपीएस) से सौजन्य मुलाकात की। इस मौके पर पुलिस अधीक्षक ने मौत के मुकाबले में भारत की ओर से जीत हासिल करने की बधाई देते हुये उनका कुशलक्षेम जाना और उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हुये इसी तरह से मुकाबला जीतकर प्रदेश और देश का नाम रोशन करने का शुभाशीष प्रदान किया। उन्होंने रेसलर से मौत के मुकाबले में होने वाली कठिनाई / अनुभव और डेथ मैच की हर एक छोटी बातों पर विस्तृत चर्चा भी की। पुलिस अधीक्षक द्वारा मैच के बारे में पूछे जाने पर रेसलर ने बताया कि जीत से ज्यादा मायने मैच में टिकना जरूरी हैं। कभी हाथ पैर टूट जाते है तब भी मैच चलता रहता है और ये सब सहने के लिये हमको बहुत सारी ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है। मैच में किल , तार , बेस बाल , टेबल , सीढ़ी , चेयर , ट्यूबलाइट सबसे मार पड़ने के कारण कभी – कभी किसी की जान भी चली जाती है। रिंग में हम सिर्फ अपने देश के लिये लड़ते है , वहां जान या परिवार के बारे में कभी नहीं सोचते। अब तक के हुये महत्वपूर्ण मैच के बारे में रेसलर ने बताया कि वर्ष 2016 में देहरादून , हल्द्वानी और लुधियाना में , वर्ष 2017 में इंदौर में , वर्ष 2018 में सिरोही , बीकानेर , बिजनौर , सुजानगढ़ , श्रीगंगा नगर में भाग लेकर जीत का परचम लहराया है। रेसलर प्रतीक तिवारी ने आगे बताया कि यह मौत का मुकाबला एक मैच ना होकर दो रेसलरों के बीच जिंदगी की जंग भी होती है , इसमें कोई भी नियम नहीं होता और बेस बॉल के साथ फेंसिंग तार , टेबल के साथ किल ट्यूब स्टिक , कैंडल स्टिक , चेयर , टेबल लैडर का उपयोग किया जाता है। यानि हर रेसलर अपनी जीत तय करने के लिये किसी भी हद तक जा सकता है , चाहे प्रतिद्वंदी का जान भी क्यों ना चली जाये। देश विदेश में आयोजित इवेंट्स में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाला इकलौता रेसलर ने कहा कि रेसलिंग ही हमारा प्रथम और अन्तिम लक्ष्य है। हर इवेंट्स में हम अपनी तिरंगा लहराने के लिये जान की बाजी लगा देते हैं। आर या पार की बात पर दो टूक जवाब पर अपनी इच्छा प्रकट करते हुये प्रतीक ने कहा कि मौत के मुकाबले में जिंदा रहे तो तिरंगा लहरायेंगे और रिंग में सांस रुकी तो तिरंगा से ही लिपट कर घर वापस भी आयेंगे। इसी क्रम में पुलिस कप्तान महोदय ने हाल ही में आयोजित भारत वर्सेस पाकिस्तान मुकाबले के लिये भी अपनी महत्वपूर्ण सुझाव , मार्गदर्शन प्रदान की। उन्होंने रेसलर के जज्बे और देश प्रेम की सराहना की और उनका पीठ थपथपा कर आशीर्वाद देते हुये कहा कि हम आपके साथ हैं और जब भी हमारी जरूरत पड़ेंगी – हमारा पूरा सहयोग आपको मिलेगा।
गौरतलब है कि रेसलर की दुनियाँ में द लायन के नाम से सुप्रसिद्ध रेसलर प्रतीक तिवारी जांजगीर चांपा जिले के नवागढ़ विकासखंड अंतर्गत आने वाले ग्राम अमोरा ( महंत) निवासी श्रीमति मंजू रामगुलाम तिवारी के इकलौते सुपुत्र हैं। बारहवीं तक की शिक्षा अपने गांव में ही पूरी करने के बाद इन्होंने ग्रेजुएशन किया है। अपने निवास पर पत्रकार वार्ता में अरविन्द तिवारी से चर्चा करते हुये प्रतीक ने बताया कि उनके पिता रामगुलाम तिवारी खली के बड़े फैन हैं। मैंने जब से होश सम्हाला एंटरटेनमेंट के नाम पर उन्हें टीवी पर फाइट देखते ही पाया। मन ही मन मैंने तय कर लिया था कि रेसलर ही बनना है। तेरह साल की उम्र में घर पर ही जिम बनाकर एक्सरसाइज करने लगा। मेरी लगन देखकर पैरेंट्स भी खली के पास ट्रेनिंग के लिये भेजने राजी हो गये।जिसके बाद उन्होंने अपने इकलौते बेटे को रेसलिंग में भेजने का ठान लिया और द ग्रेट खली के पास प्रशिक्षण के लिये पंजाब भेजा। तीन साल की कड़ी मेहनत के बाद ट्रेनिंग लेकर प्रतीक अब तक दो सौ से अधिक रेसलिंग में हिस्सा लेकर कई राज्यों सहित विदेशी रेसलरों को भी रिंग में धूल चटा चुका है। प्रतीक ने अपने लक्ष्य के बारे में पूछे जाने पर बताया कि उनका पहला और अंतिम लक्ष्य रेसलिंग ही है। वे अपनी प्रतिभा को लोगों के सामने लाना चाहते हैं ताकि दूसरे को प्रेरणा मिल सके। कई विदेशी रेसलरों को हराकर चैंपियनशिप बेल्ट हासिल करने के बाद प्रतीक पिछले बार अपने गृह राज्य की राजधानी में आयोजित प्रो रेसलिंग में भी भारत की तरफ से अपनी जान की बाजी लगा दी थी। इसमें प्रतीक का मुकाबला नेपाल के प्रोफेशनल रेसलर अमित ऐस्सनसन से हुआ। बता दें अमित ऐस्सनसन टैग टीम चैंम्पियन है। ये दंगल शो में बैंगलोर , राजस्थान , वाराणसी , मथुरा , छतरपुर , नोएडा के अलावा थाईलैण्ड में भी अपनी जलवा दिखा चुके हैं। उल्लेखनीय है कि यह मौत का मुकाबला एक मैच ना होकर दो रेसलरों के बीच जिंदगी की जंग भी होता है , जिसमें अपनी जीत दर्ज करने के लिये सभी रेसलर हर चुनौती को स्वीकार करने को तैयार होते हैं। कई इंटरनेशनल फाइटरों को धूल चटाने वाले प्रतीक ने आखिरकार छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आयोजित मौत के मुकाबले में भी अपनी जीत दर्ज कर अपने जिला और प्रदेश का नाम रोशन किया है।