खुज्जी विधानसभा में चार की दावेदारी कौन कितना किस पर भारी

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सड़क चिरचारी
राजनांदगांव:छत्तीसगढ़ राज्य में विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है।जिसका असर पूरे प्रदेश में देखने को मिल रहा है।खुज्जी विधानसभा भी प्रदेश में एक अलग ही स्थान रखता है।इस विधानसभा में भाजपा ने साहू फैक्टर को देखते हुए इस बार जिला पंचायत अध्यक्ष गीता घासी साहू को प्रत्याशी बनाया है।वही कांग्रेस में दावेदारों की फौज है किंतु विगत दिनों ब्लॉक कांग्रेस कमेटी से जिला कांग्रेस कमेटी में भेजे गए बंद लिफाफे पर अंतिम चार नामो पर जिला पैनल ने सामान्य अंक मिलने पर सहमति प्रदान की है।जिसमे वर्तमान विधायक छन्नी साहू,जिला सहकारी केंद्रीय बैंक अध्यक्ष नवाज खान,जिला महामंत्री व जनपद सदस्य चुम्मन साहू एवं रितेश जैन का नाम शामिल है।अब जिला कांग्रेस कमेटी द्वारा उक्त चारो के नाम प्रदेश कांग्रेस कमेटी में भेज चुकी है।अब देखना यह होगा कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी खुज्जी विधानसभा की स्थिति को देखते हुए किसके दावेदारी पर मुहर लगाती है।
चुकी यहां पर यह जानना जरूरी है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी के समीकरण में जिला सहकारी केंद्रीय बैंक अध्यक्ष नवाज खान जिले में अपनी पकड़ मजबूत रखते हैं किंतु खुज्जी विधानसभा में उनकी दावेदारी आसान नही होगी।उसी तरह वर्तमान विधायक अपने कार्यकाल में विवादो से घिरी रही है।उनके पति और आदिवासी समाज के युवकों के मध्य विवाद की स्थिति होने की वजह से आदिवासी तपके में उनके प्रति रोष व्याप्त है।उसी तरह विधायक द्वारा छुरिया एवं गेंदाटोला के विकास को छोड़ सिर्फ ग्राम पंचायतों के विकास पर ही कार्य किया गया।जिससे नगरवासियों के साथ साथ स्थानीय जनप्रतिनिधियों में अविश्वास एवं असंतोष व्याप्त है।इसी क्रम में ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रितेश जैन विधायक गुट के होने की वजह से पैनल में अपनी दावेदारी तो कर चुके हैं किंतु किसी भी चुनाव के मामले में आजतक प्रत्याशी भी नही बन पाए है।अतः इनकी दावेदारी भी मजबूत नही कही जा सकती? अंतिम में जिला महामंत्री व जनपद सदस्य चुम्मन साहू की खुज्जी विधानसभा में दावेदारी मजबूत दिखाई पड़ती है।चुम्मन साहू एक निर्विवाद जनप्रतिनिधि के रूप में अपनी छवि बना चुके है।उनका राजनीतिक,सामाजिक,व्यापारिक सभी क्षेत्रों में मजबूत पकड़ है।जिस तरह भाजपा साहू फैक्टर को देखते हुए गीता घासी साहू पर दांव खेल चुकी है।उसी तरह कांग्रेस के समीकरण में चुम्मन साहू फिट बैठते है।अतः भाजपा की तरह कांग्रेस चुम्मन साहू पर दांव अजमा सकती है।

खुज्जी में नही चला परिवारवाद

जिस तरह देश के कई राज्यों की राजनीति में परिवारवाद भाई भतीजा वाद चलता है।उसी तरह खुज्जी में कुछ जनप्रतिनिधियों द्वारा ऐसी प्रथा चलाने का प्रयास किया गया किंतु वे अपने मंसूबे में कामयाब नही हो पाए।ज्ञात हो कि पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष भी एक समय इस दौड़ में थी किंतु अपने क्रियाकलापों से वह स्थानीय नागरिकों,पार्षदों व जनप्रतिनिधियों के विश्वास में खरा नहीं उतर पाई।जिसके वजह से उन्हें अपने पद से हाथ धोना पड़ा।अपना एवं कांग्रेस पार्टी का छवि भी धूमिक कर बैठी।साथ ही साथ उनके इस कारनामे में उनके देवर की राजनीति कमजोर पड़ गई।इसी तरह खुज्जी विधानसभा में एक पैरा शूट प्रत्याशी भी अचानक से राजनीतिक सक्रियता दिखा रही है।जिसे खुज्जी विधानसभा के प्रत्येक नागरिकों से मिलने में लगभग एक साल का समय लग जायेगा।वे भी दावेदारी कर रही है।उनके दावेदारी से उनके देवर की राजनीति पिछड़ गई है।चुकी देवर भाभी की राजनीति के प्रेरणास्रोत उनके परिवार के एक पूर्व विधायक जो जनता दल से चुनाव जीतकर खुज्जी विधायक बने थे।बाद में कांग्रेस प्रवेश कर लिए थे।

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