तबादला पर 7 विभागों में बैन कायम रहेगा इसके अलावा निगम,मंडल,आयोग व स्वायत्तशासी में भी तबादला नहीं,

0

कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों को स्थानांतरण छूट का प्रावधान भी हटा,

पूर्व कर्मचारी नेताओं ने सरकार के प्रति आभार को औचित्यहीन बताया ।

रायपुर- छत्तीसगढ़ राज्य में विभिन्न कर्मचारी संगठनों में प्रमुख पदों पर काबिज रहे पूर्व कर्मचारी नेता क्रमशः पूर्व राज्य कर्मचारी संघ छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष तथा भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ छत्तीसगढ़ प्रदेश के वर्तमान प्रांताध्यक्ष वीरेन्द्र नामदेव, छत्तीसगढ़ डिप्लोमा अभियंता संघ से अनिल गोलहानी, मत्स्योग कर्मचारी संघ से पूरन सिंह पटेल, संयुक्त कर्मचारी संघ इंद्रावती भवन नया रायपुर से जे पी मिश्रा, उद्योग अधिकारी संघ से प्रवीण कुमार त्रिवेदी, महिला एवं बाल विकास पर्यवेक्षक संघ से श्रीमती द्रौपदी यादव, कुष्ठ कर्मचारी संघ से एस के चिलमवार, लिपिकवर्गीय कर्मचारी संघ से एस के साहू, शिक्षक संघ से अनूपनाथ योगी, कर्मचारी कांग्रेस से सी एल चंद्रवंशी, शिक्षक कांग्रेस से सुरेन्द्र सिंह, चिकित्सा अधिकारी संघ से डॉ पी आर धृतलहरे, भारतीय मजदूर संघ से बी एस दसमेर, तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ से आर जी बोहरे आदि ने राज्य में कर्मचारियों अधिकारियों के प्रतिनिधि संगठनों के कुछ बड़े कर्मचारी अधिकारी नेता दावा कर रहे है कि सरकार ने उनके मांगो के परिप्रेक्ष्य में 3 वर्षों बाद तबादला पर से बैन को हटाया है और श्रेय लेने के चक्कर में तुरंत इसके लिए मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के प्रति आभार जताने में बिलकुल विलंब नहीं किया, परंतु महंगाई भत्ता के एरियर के लिए चुप्पी साधे हुए हैं जबकि मध्यप्रदेश सरकार अपने कर्मचारियों को एरियर सहित डीए का भुगतान कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ में कर्मचारी संगठन इसे लेकर दबाव बनाने हेतु आंदोलनात्मक कार्यवाही से भी दूरी बनाए हुए हैं।

आज ट्रांसफर नीति से छत्तीसगढ़ सरकार ने कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों को मध्यप्रदेश के जमाने से चली आ रही तबादले से छूट के प्रावधान को हटा दिया और स्थानांतरण नीति के अनुसार स्कूल शिक्षा, वन, आबकारी, परिवहन, गृह( पुलिस)विभाग, खनिज साधन विभाग,वाणिज्य कर, पंजीयन विभाग इसके अलावा स्वायत्तशासी, निगम, मंडल तथा आयोग में भी ट्रांसफर पर बैन यथावत बना रहेगा। इस प्रकार के अनोखा विचित्र कर्मचारी विरोधी तबादले से प्रतिबंध हटाने के आदेश के बाद भी इसको लेकर इसके लिए सरकार के प्रति आभार जताने का औचित्य समझ से बाहर है। जबकि इस नीति को लेकर कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों को तबादले में छूट के प्रावधान को पुनः बहाल करने और सभी विभागों से स्थानांतरण पर रोक हटाने की मांग को लेकर दबाव बनाने हरसंभव कोशिश की जानी चाहिए। केवल पत्र लिखकर अपने कर्तव्य का इतिश्री समझ लेना उचित नहीं है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *