फसल बीमा के नाम पर किसानों को लुट रही सरकार – शैली भाटिया

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सिमगा। भाटापारा विधानसभा क्षेत्र के उन्नत किसान एवं विधायक प्रतिनिधि शैली भाटिया ने विज्ञप्ति जारी कर बतलाया कि छत्तीसगढ़ की वर्तमान विष्णु देव साय सरकार प्रधानमंत्री बीमा योजना के तहत फिर से एक बार किसानों को लूटने का काम कर रही है उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने ऐच्छिक रखा था मतलब यदि कोई किसान सहकारी बैंकों के माध्यम से कर्ज लेता तो उनकी मर्जी के अनुरूप उनकी फसल का बीमा होता था मगर वर्तमान भाजपा सरकार के तानाशाही रवैया के चलते किसानों द्वारा लिए गए कर्ज पर सिंचित जमीन पर 1200/ रू प्रति हेक्टेयर एवं असिंचित जमीन पर 900/ रु प्रति हेक्टेयर के हिसाब से एचडीएफसी एग्रो कंपनी के द्वारा किसान की मर्जी के खिलाफ बीमा किया जा रहा है सोसाइटी के कर्मचारियों का कहना है कि हमें मौखिक जानकारी दी गई है अब जिस किसान को अपना बीमा नहीं कराना है वे 31/7/2025 तक अपने रजिस्टर्ड मोबाइल पर ओटीपी के माध्यम से अपना फसल बीमा निरस्त करा सकते हैं उक्त आदेश दो दिन पूर्व दिया गया है जबकि किसानों को जानकारी होने पर सोसाइटियों पर इस योजना से अपना नाम हटाने किसानों की लंबी कतारें देखने को मिल रही है जबकि एचडीएफसी एग्रो का नेटवर्क लगभग बंद सा पड़ा है कुल मिलाकर किसान परेशान है क्योंकि अभी वह कृषि कार्य हेतु खेतों में जाएं या अपना फसल बीमा निरस्त करने सोसाइटियों के चक्कर लगाए श्री भाटिया ने बतलाया की छत्तीसगढ़ मैदानी इलाका है यहां खरीफ फसल में धान की खेती की जाती है जबकि यहां किसी प्रकार के बादल फटने या ओले की समस्या नहीं रहती इसके पूर्व भी रमन सिंह सरकार ने इफको टोक्यो कंपनी के साथ मिलकर किसानों को लूटने का कार्य किया था वहीं पुनः यह सरकार किसानों को फसल बीमा के नाम पर लूट रही है इस योजना से किसान का जबरन प्रीमियम काटा जा रहा है जबकि नुकसान होने पर इन बीमा कंपनियों के द्वारा क्लेम नहीं मिलता और बीमा कंपनियां का जवाबदेह ना होना भी एक कारण है श्री भाटिया ने बतलाया कि जब भी किसान बीमा की राशि के लिए दावे करता है तो कंपनियां बहाने बनाकर क्लेम रिजेक्ट कर देती हैं या फिर क्लेम बहुत कम कर देर से देती हैं जब तक किसान अपनी फसल का चक्र शुरू कर चुका होता है या फिर पूरी बर्बाद फसल की रिपोर्ट में कहा जाता है की फसल का नुकसान 33% से कम है इसलिए बीमा नहीं मिलेगा जिसके चलते किसान ठगा सा महसूस करता है इन्हीं कारणों से बीमा कंपनियों को छत्तीसगढ़ से फायदा होता है क्योंकि उन्हें प्रीमियम ज्यादा वसूल कर क्लेम भुगतान कम करना पड़ता है जिसके चलते छत्तीसगढ़ के किसान इन बीमा कंपनियों के लिए चारागाह है इस योजना के चलते लगभग प्रत्येक सोसाइटियों में 8 से 10 लाख रुपए का बीमा होना है और छत्तीसगढ़ राज्य में लगभग 3000 सोसाइटियों के माध्यम से अरबो रुपए का फायदा इन बीमा कंपनियों की जेब में जाता है श्री भाटिया ने सरकार से मांग की है कि किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए फसल बीमा को पुनः ऐच्छिक किया जाए और ओटीपी के माध्यम को हटा दें ताकि किसानों को इस बीमा कंपनी की लूट से बचाया जा सके।

CNI न्यूज़ सिमगा से ओंकार साहू की रिपोर्ट

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