“प्रारंभ” पत्रिका का विशेषांक विमोचित

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
रायपुर – सोसाइटी फॉर एम्पावरमेंट ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर देशभक्ति , सामुदायिक सहभागिता और ज्ञान-वितरण को एक सूत्र में पिरोते हुये विविध कार्यक्रम आयोजित किये। इन गतिविधियों ने स्वतंत्रता के मूल्यों , राष्ट्रीय नेताओं के त्याग एवं समर्पण तथा समावेशी विकास की भूमिका को रेखांकित किया। औदा फ्लैट, बालोल नगर रोड, अहमदाबाद में सोसाइटी की गवर्निंग बोर्ड सदस्य डा. मालती दवे ने बच्चों से स्वतंत्रता आंदोलन के महत्व पर विचार साझा किये। उन्होंने महात्मा गांधी , सरदार वल्लभभाई पटेल और नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे महानायक नेताओं के योगदान का स्मरण कराने के साथ ही महिलाओं की उल्लेखनीय भूमिका पर भी प्रकाश डाला। इनमें कस्तूरबा गांधी , पेरिन बेन कैप्टन , मितुबेन पेटिट , मणिबेन पटेल , उषा मेहता और भीकाजी कामा के योगदान का विशेष उल्लेख किया गया। इस अवसर पर डा. दवे द्वारा योग सत्र का भी आयोजन किया गया जिसने बच्चों में अनुशासन , स्वास्थ्य एवं सामंजस्य के मूल्य स्थापित किये। सभी प्रतिभागी बच्चों को उपहार वितरित किये गये , जिससे संस्था की भावी पीढ़ी के प्रति प्रतिबद्धता परिलक्षित हुई। इसी दिन सोसाइटी फॉर एम्पावरमेंट ने अपने मासिक प्रकाशन ‘प्रारंभ’ का 29वां अंक जारी किया , जो वरिष्ठ नागरिकों एवं समावेशी सामाजिक-सांस्कृतिक विकास हेतु समर्पित है। यह विशेष स्वतंत्रता दिवस अंक विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों ( पीवीटीजीएस) पर केंद्रित था, जिसका मुख्य विषय “माता भूमिः पुत्रो अहं पृथिव्याः” रखा गया। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि डाॅ. ए. के. पांडेय (से.नि. आईएएस) , एन. एन. पांडेय (से.नि. आईएएस), प्रो. सचिन्द्र नारायण तथा कार्तिक पोनुस्वामी उपस्थित रहे। उन्होंने परंपरागत ज्ञान को आधुनिक विकास ढांचे से जोड़ने के महत्व पर बल दिया। संपादक एन. एन. पांडेय (से.नि. आईएएस) ने विशेषांक के संपादक डाॅ. रूपेन्द्र कवि, मानवशास्त्री एवं उप सचिव , राज्यपाल सचिवालय , छत्तीसगढ़ को उनके शैक्षणिक नेतृत्व के लिये धन्यवाद दिया। उन्होंने सहायक संपादक सुश्री स्वयंसिद्धा दाश और सहयोगी संपादक सुश्री सविता मोरे के योगदान की भी सराहना की। प्रो. एस. नारायण ने अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि “‘प्रारंभ’ केवल पत्रिका नहीं , बल्कि एक वैचारिक मंच है जहाँ वरिष्ठों का अनुभव , विद्वानों की अंतर्दृष्टि और युवाओं की कल्पनाशक्ति एक साथ मिलकर राष्ट्र निर्माण का मार्ग प्रशस्त करते हैं। यह विशेषांक हमारे जनजातीय समुदायों को समर्पित है , जो भारत के प्रथम ज्ञान-धारक रहे हैं और आज भी राष्ट्र निर्माण के सहभागी बने हुये हैं। इस विशेष स्वतंत्रता दिवस अंक में विविध शोध एवं चिंतनपरक लेख शामिल किये गये हैं। इसमें एन. एन. पांडेय (से.नि. आईएएस) का संपादकीय और डाॅ. रूपेन्द्र कवि का विशेष संपादकीय पाठकों को दिशा देता है। अंक में वरिष्ठ नागरिकों के लिये रोजगार अवसरों पर विशेष अनुभाग जोड़ा गया है। इसके साथ ही अनेक महत्वपूर्ण शोध आलेख शामिल हैं , जिनमें डाॅ. राजेश शुक्ला एवं प्रो. मोयना चक्रवर्ती द्वारा बिंझवार जनजाति का एथ्नो-मेडिकल मॉडल , डाॅ. रूपेन्द्र कवि का पारंपरिक वैद्यराज हेमचंद मांझी पर गहन मानवशास्त्रीय विश्लेषण तथा राजनारायण मोहंती एवं डाॅ. बसंता कुमार मोहंता का ओडिशा की लोधा आजीविका के बदलते स्वरूप पर अध्ययन प्रमुख हैं। सांस्कृतिक दृष्टि से उमराव सिंह का भारतीय संस्कृति में अंतर्पीढ़ीगत बंधन पर लेख , गोपीकृष्ण सोनी का बैगा जनजाति की पारंपरिक बेवर खेती का वर्णन और डाॅ. कविता शर्मा का रानी गाइदिनलु पर आलेख विशेष महत्व रखते हैं। वरिष्ठ नागरिकों के सामाजिक-आर्थिक योगदान पर डाॅ. बिस्वजीत सतपति का सिल्वर वर्कफोर्स पर विश्लेषण तथा कार्तिक पोनुस्वामी का डिजिटल इंडिया और सिल्वर जनरेशन को पोस्ट-रिटायरमेंट नेशन बिल्डर्स के रूप में प्रस्तुत करने वाला लेख पाठकों के लिये प्रेरणादायी है। साहित्यिक और भावनात्मक आयाम जोड़ते हुए सोमेन्द्र शंकर तिवारी की कवितायें और सुश्री सविता मोरे का बुजुर्ग भाई-बहनों पर संवेदनशील लेख प्रकाशित किए गए हैं। सुश्री स्वयंसिद्धा दाश द्वारा अगस्त माह के महत्वपूर्ण दिवसों का संकलन तथा एसएफई की गतिविधियों के अंतर्गत विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों में पारंपरिक उपचार पद्धतियों पर आयोजित राष्ट्रीय संवाद का विवरण भी अंक की विशिष्टता को और सुदृढ़ करता है। अपने कार्यक्रमों के माध्यम से — बच्चों में देशभक्ति का भाव जागृत करने तथा जनजातीय समूहों पर आधारित ज्ञानवर्धक विशेषांक प्रकाशित करने — सोसाइटी फॉर एम्पावरमेंट ने एक बार फिर यह सिद्ध किया कि वह विरासत को विकास से , वरिष्ठ अनुभव को युवा ऊर्जा से और परंपरा को आधुनिकता से जोड़ने हेतु सतत प्रतिबद्ध है। यह पहल राष्ट्र की व्यापक दृष्टि विकसित भारत @2047 के अनुरूप है।
