किशनपुर उपसरपंच के विरुद्ध सचिवों ने खोला मोर्चा

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उपसरपंच पर “5 प्रतिशत कमीशनखोरी” का आरोप

महासमुंद प्रशासन से कड़ी कार्यवाही की मांग

पिथौरा /छत्तीसगढ़ की पंचायत राजनीति एक बार फिर सवालों के घेरे में है। विकास कार्यों की पारदर्शिता पर सवाल उठाने वाले पंचायत सचिव अब सड़कों पर उतरने की चेतावनी दे रहे हैं। ग्राम पंचायत किशनपुर के उपसरपंच चम्पेश्वर साहू पर हर निर्माण कार्य में 5 प्रतिशत कमीशन मांगने और सचिव को धमकाने का गंभीर आरोप लगा है। मामला जब अखबारों की सुर्खियों में आया तो पंचायत सचिव संघ ने मोर्चा खोल दिया और जिला कलेक्टर, जिला पंचायत सीईओ और एसडीओ (राजस्व) पिथौरा से तत्काल कार्यवाही की मांग की है।

“कमीशन दो, नहीं तो हट जाओ सचिव” – गंभीर आरोप!
ग्राम पंचायत किशनपुर में पदस्थ सचिव पुनीत सिन्हा, जो कि पंचायत सचिव संघ के संरक्षक भी हैं, ने आरोप लगाया है कि उपसरपंच चम्पेश्वर साहू हर निर्माण कार्य में सरपंच की मौजूदगी में ही 5 प्रतिशत कमीशन मांगते हैं। जब यह रकम देने से सचिव ने इंकार किया तो उपसरपंच अपने परिवारजनों के साथ विरोध-प्रदर्शन पर उतर आया और सचिव को हटाने का दबाव बनाने लगा।

सचिव संगठन का कहना है कि यह सिर्फ पुनीत सिन्हा का मामला नहीं, बल्कि पूरे विकासखण्ड पिथौरा के सचिवों की गरिमा और ईमानदारी पर हमला है।

स्थायी सचिव की नियुक्ति ने भड़काई राजनीति!
जनपद पंचायत पिथौरा के प्रस्ताव और जिला पंचायत महासमुंद के आदेश पर दिनांक 04/09/2025 को सचिव पुनीत सिन्हा को स्थायी सचिव के रूप में नियुक्त किया गया। उनकी कार्यकुशलता और ईमानदारी को देखते हुए ग्रामीणों और सरपंच ने भी यही मांग की थी।

लेकिन यह फैसला उपसरपंच को रास नहीं आया। पंचायत सचिव संघ का आरोप है कि चम्पेश्वर साहू ने गुंडई का रास्ता अपनाया और अब विकास कार्यों को “कमीशन के जाल” में फंसाकर रोकने का षड्यंत्र कर रहे हैं।

पंचायत सचिव संघ का गुस्सा सचिव संगठन ने साफ कहा है कि –

“अगर पंचायत प्रतिनिधियों के दबाव में सचिवों का बार-बार स्थानांतरण या प्रभार बदलने का खेल चलता रहा, तो अब पिथौरा विकासखण्ड का कोई सचिव अतिरिक्त ग्राम पंचायत का प्रभार नहीं लेगा।”

यानी सचिव अब सीधे आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं।

अखबारों में छपे आरोप बने सबूत!
पिछले कुछ दिनों से क्षेत्रीय समाचार पत्रों में उपसरपंच के खिलाफ खबरें लगातार प्रकाशित हो रही हैं। सरपंच और समाज के प्रमुखों ने भी लिखित शिकायत दी है कि उपसरपंच की प्रवृत्ति गुंडागर्दी और आपराधिक मानसिकता की है। पंचायत सचिव संघ ने कहा है कि अब प्रशासन के पास टालमटोल की कोई गुंजाइश नहीं है।

आंदोलन की चेतावनी पंचायत सचिव संघ ने प्रशासन को साफ चेतावनी दी है –

  • यदि 22 सितंबर 2025 तक उपसरपंच चम्पेश्वर साहू को पद से पृथक कर उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू नहीं की गई, तो महासमुंद जिला सचिव संघ सड़क पर उतरकर उग्र आंदोलन करेगा।
  • इस आंदोलन की संपूर्ण जिम्मेदारी प्रशासन और शासन की होगी।

सवालों के घेरे में पंचायत व्यवस्था!
यह विवाद सिर्फ किशनपुर तक सीमित नहीं है। सचिव संगठन का कहना है कि कई ग्राम पंचायतों में उपसरपंच और सरपंच अपनी मनमर्जी से सचिवों पर दबाव डालते हैं, हटाने-स्थानांतरण की मांग करते हैं। इससे विकास कार्य बाधित हो रहे हैं और सचिवों का मनोबल गिर रहा है।

ग्रामीण विकास के नाम पर चलने वाली योजनाएं अगर “कमीशन संस्कृति” की भेंट चढ़ने लगीं, तो प्रधानमंत्री ग्राम सड़क, मनरेगा, पेयजल और आवास जैसी योजनाएं बुरी तरह प्रभावित होंगी।

ग्रामीणों का भी विरोध तेज!
ग्राम पंचायत किशनपुर के कई ग्रामीणों ने भी उपसरपंच के खिलाफ खुलकर आवाज उठाई है। उनका कहना है कि –

•पंचायत में ईमानदार सचिव की जरूरत है।

•उपसरपंच की दबंगई से गांव का माहौल बिगड़ रहा है।

•यदि प्रशासन कार्रवाई नहीं करता तो गांव में अशांति फैल सकती है।

प्रशासन की अग्निपरीक्षा!
अब सारी निगाहें जिला कलेक्टर और जिला पंचायत महासमुंद पर टिकी हैं। क्या वे उपसरपंच पर लगे आरोपों की जांच कर उन्हें पद से पृथक करेंगे? या फिर यह मामला भी “जांच के नाम पर” ठंडे बस्ते में चला जाएगा?

पंचायत सचिव संघ की चेतावनी और ग्रामीणों का बढ़ता आक्रोश प्रशासन के लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं है।

किशनपुर का यह विवाद छत्तीसगढ़ की पंचायत व्यवस्था में गहराई तक बैठे भ्रष्टाचार और राजनीतिक दबाव की पोल खोलता है। सचिव संघ का आंदोलन अगर वास्तव में सड़कों पर उतरा, तो यह न सिर्फ पिथौरा, बल्कि पूरे महासमुंद और प्रदेश की पंचायत राजनीति में भूचाल ला सकता है।

प्रशासन के पास अब सिर्फ दो विकल्प हैं –

•या तो आरोपित उपसरपंच चम्पेश्वर साहू को तत्काल पद से हटाकर सख्त कार्यवाही करे।

•या फिर आने वाले दिनों में पंचायत सचिवों के आंदोलन से पूरे जिले की विकास योजनाएं ठप होने का जोखिम उठाए।

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