रईस अहमद शकील: शबे कद्र हजार रातों की तुलना में अच्छा, इबादत के लिए विशेष महत्व

मोहम्मद अजहर हनफी की रिपोर्ट
राजनांदगांव:- जामा मस्जिद पठानपारा के अध्यक्ष रईस अहमद शकील ने शबे कद्र की महत्ता को उजागर करते हुए इसको रमजान के सबसे खास मौकों में से एक घोषित किया। उन्होंने कहा, “रब्बुल आलमीन का लाख-लाख शुक्र है कि उसने हमें इंसानों में पैदा किया और पवित्र कुरान जैसे हिकमत वाली किताब अता फरमाई। शबे कद्र की रात, जो हजार रातों से बेहतर मानी जाती है, इसी महीने के 26 रोजे के बाद आती है। इस रात को मुसलमान अपने परवरदिगार को राजी करने के लिए इबादत में व्यस्त रहते हैं।”
वहाँ आगे उन्होंने बताया कि मस्जिद से लेकर कब्रिस्तान तक ये इबादत का समय रात भर चलता रहता है। तराबीह की विशेष नमाज आज पूरा की जाएगी और पवित्र कुरआन पूरी तरह से मुकम्मल किया जाएगा। लोग कब्रिस्तान से जाकर अपने स्वर्गीय परिवार के लिए दुआएं मगफिरत की जाती हैं और सहरी के साथ अगले रोजे की तैयारी कर लेते हैं।
रईस अहमद शकील ने रमजान की फजीलत और बरकत पर भी बल दिया। उन्होंने कहा, “यह महीना गुनाहों से माफी मांगने और रब के करीब होने का बेहतरीन मौका है। उपवास, नमाज, जकात और खैरात के जरिये समाज के जरूरतमंदों की मदद भी रमजान की खासियत है। शबे कद्र की रात हमें अपने गुनाहों पर पश्चाताप कर सच्चाई और ईमानदारी की राह पर चलने की प्रेरणा देती है।”
शबे कद्र इस पवित्र रात को परंपराओं और इबादत के साथ मनाया जाएगा, जो महत्व और अध्यात्मिकता को रमजान से जोड़ता है।