राष्ट्रव्यापी राष्ट्र रक्षा अभियान में उज्जैन पहुंचे पुरी शंकराचार्य
अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
उज्जैन – ऋग्वेदीय पूर्वाम्नाय श्रीगोवर्द्धनमठ पुरीपीठाधीश्वर एवं हिन्दू राष्ट्र प्रणेता अनन्तश्री विभूषित श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य पूज्यपाद स्वामी श्रीनिश्चलानन्द सरस्वतीजी महाराज अपने राष्ट्र व्यापी राष्ट्र रक्षा अभियान अंतर्गत परम्परागत रुप से प्रति वर्ष गीता जयन्ती के अवसर पर उज्जैन – इन्दौर प्रवास पर रहते हैं। इस वर्ष भी पुरी शंकराचार्यजी अपनी होशियारपुर पंजाब का प्रवास पूर्ण कर आज महाराज विक्रमादित्य की नगरी उज्जैन , मध्यप्रदेश पहुंच चुके हैं। उज्जैन में श्रीबालमुकुंद आश्रम, नृसिंह घाट में उनका निवास रखा गया है। उज्जैन में उनका प्रवास 10 दिसम्बर को अपरान्ह चार बजे तक है। उज्जैन प्रवास के दौरान 09 एवं 10 दिसम्बर को पूर्वान्ह साढ़े ग्यारह बजे दर्शन , दीक्षा एवं धर्म – राष्ट्र तथा आध्यात्म से संबंधित जिज्ञासाओं का समाधान एवं दिनांक 09 दिसम्बर को सायं साढ़े पांच बजे से दर्शन के साथ ही संगोष्ठी के अवसर पर आध्यात्मिक संदेश श्रवण का सौभाग्य सभी उपस्थित सनातनी भक्तवृन्दों को सुलभ होगा। इसी कड़ी में 10 दिसम्बर को सायं चार बजे सड़क मार्ग द्वारा पुरी शंकराचार्यजी इन्दौर प्रस्थान करेंगे। इन्दौर में प्रेसिडेंट रेसीडेंसी , मनोरमागंज , नवरत्तन बाग , गीता भवन के समीप स्थित पवन सिंघानियाजी के यहां निवासरत रहेंगे। निवास स्थल पर दिनांक 11 से 13 दिसम्बर तक प्रात: दर्शन , दीक्षा तथा गोष्ठी सायं साढ़े पांच बजे गीता भवन में दर्शन एवं हिन्दू राष्ट्र संगोष्ठी आयोजित होगी। यहां आयोजित सभी कार्यक्रमों की समाप्ति पश्चात 13 दिसम्बर को रात्रि नौ बजे से निवास स्थल से इंदौर रेलवे स्टेशन प्रस्थान करेंगे जहां से रात्रि ग्यारह बजे शान्ति एक्सप्रेस द्वारा राष्ट्रोत्कर्ष अभियान के अगले चरण के लिये साबरमती जंक्शन प्रस्थान करेंगे। इसकी जानकारी श्री सुदर्शन संस्थानम , पुरी शंकराचार्य आश्रम / मीडिया प्रभारी अरविन्द तिवारी ने दी। गौरतलब है कि पुरी शंकराचार्यजी का अपने राष्ट्र व्यापी राष्ट्र रक्षा अभियान के अंतर्गत सभी सनातनी राष्ट्रभक्त सनातनी जनमानस के लिये आध्यात्मिक संदेश के रुप में आह्वान होता है कि वेद सम्मत सिद्धान्तों का वैदिक विधि से क्रियान्वयन के द्वारा ही हम रामराज समन्वित , सनातन वर्णाश्रम व्यवस्था का परिपालन करते हुये हिन्दू राष्ट्र निर्माण की कल्पना साकार कर सकते हैं , इस संबंध में महाराजश्री उद्घृत करते हैं कि इस राॅकेट, कम्प्यूटर , एटम और मोबाइल के युग में भी सनातन वैदिक आर्य हिन्दुओं का परम्परा प्राप्त भोजन, वस्त्र, आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य, यातायात, उत्सव — त्यौहार, रक्षा, सेवा, न्याय, विवाह आदि के प्रकल्प सर्वोत्कृष्ट हैं हमारा सिद्धान्त न केवल दार्शनिक अपितु वैज्ञानिक और व्यवहारिक धरातल पर भी सर्वोत्कृष्ट है। इस तथ्य को जब नई पीढ़ी समझेगी, तो बिलकुल स्वतंत्र भारत को जैसा होना चाहिये था, उसके निर्माण के लिये स्वस्थ क्रान्ति के लिये प्रशस्त होगी। इसी तरह महाराजश्री का संदेश है कि मठ, मन्दिर हमारे धार्मिक दुर्ग हैं, अपने क्षेत्र के मठ मन्दिरों के संचालकों से सद्भाव पूर्वक सम्वाद स्थापित कर, इन्हें शिक्षा, रक्षा, संस्कृति , सेवा , धर्म और मोक्ष का संस्थान बनाना आवश्यक है।