गुरुद्वारा नानक दरबार में गुरु रामदास जी का प्रकाश पर्व श्रद्धा एवं उत्साह से मनाया गया

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सिमगा। सिख धर्म के चौथे गुरु धन धन श्री गुरु रामदास जी का प्रकाश पर्व सिमगा नगर स्थित गुरुद्वारा नानक दरबार में बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया।
सुबह के दीवान में कीर्तन एवं गुरु विचार के दौरान ज्ञानी हरि सिंह बेदी ने गुरु रामदास जी के जीवन, शिक्षाओं और समाज सुधार में उनके योगदान पर प्रकाश डाला।
संध्या के दीवान में रहिरास साहिब पाठ एवं आरती के उपरांत स्त्री सत्संग सभा की ओर से परमजीत कौर, रविंद्र कौर, शिल्पी भाटिया, सिमरन सलूजा, मिन्नी भाटिया और रीत कौर ने मधुर कीर्तन प्रस्तुत कर गुरु साहिब के उपदेशों को स्मरण किया।
इस अवसर पर शिल्पी भाटिया ने गुरु विचार करते हुए कहा कि गुरु रामदास जी सिख धर्म में सेवा, नम्रता और प्रेम के प्रतीक हैं। उन्होंने मानवता को “नाम जपो, किरत करो और वंड छको” के सिद्धांत पर चलने की प्रेरणा दी। गुरु जी ने समाज में जात-पात और ऊँच-नीच के भेदभाव को समाप्त करने का संदेश दिया।
उन्होंने अमृतसर शहर की स्थापना कर हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) का निर्माण प्रारंभ कराया, जो आज पूरी दुनिया में सिख आस्था और भाईचारे का केंद्र है। गुरु जी की वाणी गुरु ग्रंथ साहिब में संकलित है, जो हर युग में इंसान को सच्चाई, सेवा और समानता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है।
दीवान की समाप्ति के पश्चात लंगर का आयोजन किया गया, जिसमें सिख समाज सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे और गुरु चरणों में नतमस्तक होकर आशीर्वाद प्राप्त किया।
CNI NEWS सिमगा से ओंकार साहू की रिपोर्ट

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