पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे को दी गई भावभीनी श्रद्धांजलि

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सबको हँसाने वाले जाते -जाते रुला गए…

           छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग जिला बलौदा बाजार-भाटापारा द्वारा अंतर्राष्ट्रीय कवि पद्मश्री डॉ सुरेंद्र दुबे को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए शोक सभा आयोजित की गयी जिसमें नगर के साहित्यकार,राजनेता,पेंशनर्स, पत्रकार एवं शिक्षाविदों ने भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। 

            वरिष्ठ साहित्यकार बलदेव भारती ने कहा कि डॉक्टर सुरेंद्र दुबे के चले जाने से साहित्य जगत के एक युग का अंत हो गया है। सबको हँसाने वाले जाते-जाते सबको रुला गए। लोग उन्हें सदियों तक भूल नहीं पाएंगे। पूर्व विधायक नरेंद्र शर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ की माटी की सोंधी खुशबू को अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक पहुँचाने वाले डॉक्टर सुरेंद्र दुबे का योगदान हमेशा याद किया जायेगा। रघुनाथ प्रसाद पटेल ने दुबे जी को विलक्षण प्रतिभा का धनी बताते हुए छत्तीसगढ़ी साहित्य के प्रति उनके आगाध प्रेम को स्मरण किया। 

            राजकुमार शर्मा ने कहा कि रचनाकार हमेशा अमर होता है वह अपने विचारों के माध्यम से सदियों तक जिंदा रहते हैं डॉक्टर दुबे भी सदियों तक अमर रहेंगे। बृजेश अग्रवाल ने दुबे जी की मिलनसारिता को याद किया कि कैसे वे एक फोन पर किये निवेदन को भी स्वीकार कर लेते थे। नरेंद्र वर्मा ने बताया – छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा दिलाने में डॉक्टर सुरेंद्र दुबे की अहम भूमिका थी। वे अंतिम सांस तक छत्तीसगढ़ी को आठवीं अनुसूची में जोड़ने के लिए संघर्ष करते रहे।

          श्रद्धांजलि सभा में उपस्थित सभी लोगों ने पद्मश्री डॉक्टर सुरेंद्र दुबे को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। अंत में 2 मिनट का मौन रखकर दुबे जी के दिव्य आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। कार्यक्रम का संचालन अजय अमृतांशु ने एवं आभार प्रदर्शन कन्हैया साहू अमित ने किया। 

            श्रद्धांजलि सभा में डॉ सीमा अवस्थी, मुकेश शर्मा, हेतराम कुर्रे, कन्हैया साहू ‘अमित’, इद्राणी साहू,निवेदिता वर्मा,वंदना गोपाल शर्मा शैली, स्वर्ण लता त्रिवेदी,सुभाष भट्टर,नरेश शर्मा, के.एन. यदु , आशाराम अनंत, चंद्रभान पाल, दिलीप सिंह बिसेन, अशोक पंत,रमेश कुमार वर्मा, के के वर्मा आदि ने श्रद्धांजलि अर्पित किया।

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