सीता नवमी आज के दिन भगवान श्रीराम और सीतामाता की पूजा करने से कुंडली में स्थित अशुभ ग्रहों का प्रभाव दूर होता है।

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सी एन आइ न्यूज-पुरुषोत्तम जोशी ।
वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को सीता नवमी के रूप में मनाया जाता है। पंचांग गणना के आधार पर इस साल सीता नवमी का व्रत 5 मई को रखा जा रहा है ।यह दिन माता सीता के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है और इसका हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। कहा जाता है कि इस दिन विधि-विधान से भगवान राम और माता सीता की पूजा करने से कुंडली में स्थित अशुभ ग्रहों का प्रभाव कम होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

सीता नवमी तिथि और समय

वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख माह शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 5 मई को सुबह 7 बजकर 35 मिनट पर शुरू होगी। वहीं तिथि का समापन अगले दिन यानी 6 मई को सुबह 8 बजकर 38 मिनट पर होगा। पंचांग को देखते हुए इस साल सीता नवमी का व्रत 5 मई को है।

पूजा विधि

सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर लाल रंग के वस्त्र धारण करें।
पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करें और एक वेदी पर लाल या पीले रंगा का वस्त्र बिछाएं।
भगवान राम और माता सीता की प्रतिमा स्थापित करें।
उन्हें चंदन, अक्षत, धूप, दीप और पीले पुष्प आदि चीजें अर्पित करें।
उन्हें फल, मिठाई और तुलसी दल चढ़ाएं।
रामचरितमानस या रामायण के बालकांड का पाठ करें, जिसमें माता सीता के जन्म की कथा वर्णित है।
भगवान राम और माता सीता के मंत्रों का जाप करें।
भगवान राम के इस मंत्र “श्री राम जय राम जय जय राम” का जप करें।
देवी सीता के इस मंत्र: “ॐ श्री सीताये नमः” का जप करें।
अंत में आरती करें और पूजा में हुई गलतियों के लिए माफी मांगे।
फिर परिवार के सभी सदस्यों में प्रसाद बांटें।
इस दिन तामसिक चीजों से दूरी बनाएं।

सीता नवमी व्रत के लाभ

सीता नवमी के दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं।
इस दिन दान-दक्षिणा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
ऐसे में क्षमता के अनुसार वस्त्र, भोजन या अन्य जरूरी वस्तुओं का दान कर सकते हैं।
अगर आपकी कुंडली में किसी अशुभ ग्रह का प्रभाव है, तो इस दिन भगवान राम और माता सीता की विधिवत पूजा करें। उन्हें लाल फूल अर्पित करें और “ॐ रामभद्राय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें। माना जाता है कि इससे ग्रहों का नकारात्मक प्रभाव कम होता है।

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