मोक्षदा एकादशी व्रत आज,इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु जी की पूजा-अर्चना करने से जीवन में सुख समृद्धि का आगमन होता
मोक्षदा एकादशी व्रत आज,इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु जी की पूजा-अर्चना करने से जीवन में सुख समृद्धि का आगमन होता है।
सी एन आइ न्यूज-पुरुषोत्तम जोशी।
मोक्षदा एकादशी का व्रत मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को किया जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। एकादशी तिथि जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित है। इस व्रत को श्री हरि की कृपा पाने का सबसे सरल मार्ग मानना होगा। यही वजह है कि हिंदू धर्म में इस तिथि का विशेष महत्व है। एक हिंदू वर्ष में 24 एकादशी तिथियां आती हैं, यानी प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की एकादशी को ये व्रत किया जाता है। इस साल मोक्षदा एकादशी का व्रत 01 दिसंबर को होगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पूरी श्रद्धा के साथ भगवान विष्णु की पूजा करने वाले भक्तों के कष्ट दूर होते हैं और उन्हें बैकुंठ धाम में स्थान मिलता है।
01 दिसंबर को होगा मोक्षदा एकादशी का व्रत,
पंचांग के अनुसार, इस साल मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की 30 नवंबर को रात 9 बजकर 29 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन 01 दिसंबर को सुबह 07 बजकर 01 मिनट पर होगा। उदयातिथि के अनुसार, इस साल मोक्षदा एकादशी का व्रत 01 दिसंबर को किया जाएगा।
मोक्षदा एकादशी का महत्व
मोक्षदा एकादशी के नाम में ही मोक्ष की बात है। विष्णु पुराण के अनुसार, स्वंय श्रीकृष्ण ने अर्जुन को बताया था मोक्षदा एकादशी का व्रत बैकुंठ धाम में स्थान दिलाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने से व्यक्ति के भी पाप नष्ट होते हैं और वह मोक्ष प्राप्त करता है। इतना ही नहीं इस व्रत को करने वालों के पूर्वज भी मोक्ष को प्राप्त करते हैं।
मोक्षदा एकादशी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान करें। इसके बाद साफ और हल्के रंग के वस्त्र पहनें और उगते सूर्यों को अर्घ्य देकर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद पूजा स्थल पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें भगवान विष्णु को पीले फूल, पंचामृत, फल, केले, पीली मिठाई और तुलसी दल का भोग लगाएं। इसके बाद ओम नमो भगवते वासुदेवाय नम:मंत्र का जप करें और फिर मोक्षदा एकादशी व्रत कथा का पाठ करें। इसके बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें। अंत में सभी को प्रसाद वितरित करें और शाम के समय व्रत का पारण करें।
मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती पर श्रीमद्भगवद्गीता का संपूर्ण पाठ करना चाहिए। अगर ऐसा करना मुश्किल है, तो कम से कम 11वें अध्याय का पाठ जरूर करें, इस पवित्र दिन पर किसी मंदिर या ब्राह्मण को भोजन जरूर कराएं। और श्रीमद्भगवद्गीता का दान करें। यह उपाय व्यक्ति को ज्ञान और मोक्ष की ओर ले जाता है। भगवान कृष्ण को तुलसी दल मिश्रित मिश्री का भोग लगाएं। और भोग लगाते समय गीता के उपदेश का ध्यान मन ही मन करें। या फिर गीता के किसी एक श्लोक का जप करें।
सनातन शास्त्रों में द्वादशी तिथि पर दान करने का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन मंदिर या गरीब लोगों में भोजन, धन और कपड़ों का दान करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इन चीजों का दान करने से व्रत का पूर्ण फल मिलता है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। साथ ही आर्थिक संकट दूर होता है।
