महात्मा गांधी नरेगा से निर्मित अमृत सरोवर बना आजीविका का केंद्र

महात्मा गांधी नरेगा से निर्मित अमृत सरोवर बना आजीविका का केंद्र
अमृत सरोवर में मछली पालन से महिलाएं हो रही आत्मनिर्भर
जल संरक्षण के साथ भू-जल स्तर में वृद्धि करते हुए आजीविका की गतिविधियों को मिला बढ़ावा
कवर्धा, 22 मई 2025। ज़िले के जनपद पंचायत कवर्धा के ग्राम पंचायत बिरकोन में बनाये गए अमृत सरोवर जीर्णोद्धार कार्य बाजार तालाब अब ग्रामीणों को लाभान्वित करने लगा है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में स्वीकृत अमृत सरोवर का निर्माण 8 दिसंबर 2024 को प्रारंभ हुआ जो अब पूरा हो चुका है। इस कार्य की लागत राशि 9.71 लाख रुपए थी। निर्माण कार्य पूरा होने पर इसमें कुल 6 लाख 16 हजार 5 सौ 43 रुपए व्यय हुआ जिसमे मजदूरी पर 1.65720 लाख रुपए एवं सामाग्री पर 4.50823 लाख रुपए खर्च आया। अमृत सरोवर का निर्माण कुल 20 एकड़ क्षेत्र में किया गया है।महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना अन्तर्गत अमृत सरोवर फेस-2 में इस सरोवर का चयन किया गया है। यह सरोवर गांव के केन्द्र में लगभग 20 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है इस सरोवर के जीर्णोद्धारा एवं साफ-सफाई कराया गया। सरोवर निर्माण के दौरान गांव के 324 पंजीकृत परिवारों के 689 श्रमिकों को रोजगार प्राप्त हुआ और इसके साथ ही मजदूरी की राशि ग्रामीणों के बैंक खाते में सीधे जारी हुआ। गांव के बीचो-बीच बने सरोवर के आस-पास वातावरण को स्वच्छ सुंदर एवं प्राकृतिक रूप से हरा-भरा रखने के लिए वृक्षारोपण का कार्य भी कराया गया है जो अब देखते ही बनता है।
महात्मा गांधी नरेगा योजना से अमृत सरोवर बनाने का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में जल संरक्षण करते हुए भू-जल स्तर में वृद्धि कर ग्रामीणों को इसमें आजीविका संवर्धन की गतिविधियों को जोड़ना है। सरोवर का देखभाल और इसके रख रखाव के लिए माँ चन्द्रहासनी महिला स्वं सहायता समुह को दिया गया है। समुह के द्वारा सरोवर में मत्स्य पालन का व्यवसाय किया जा रहा है। 6 माह पहले प्रारंभ किया गया मछली पालन का व्यवसाय अब जोर पकड़ने लगा है। समुह के द्वारा अब तक मत्स्य विक्रय कर 1.20 लाख रूपये की आमदानी प्राप्त की जा चुकी है। रोहू, कतला, मृगल जैसे प्रचलित एवं पसंद किए जाने वाले मछलियां ग्रामीणों को अमृत सरोवर से प्राप्त हो रहा है। समूह द्वारा प्रत्येक सप्ताह जल डालकर मछलियां निकली जा रही हैजो लगभग 1 से 2 किलो के साइज की है। बिरकोना गांव के निवासियों को पौष्टिक एवं स्वादिष्ट मछलियां गांव के अंदर ही 80 से 100 रुपए प्रति किलो के दर से मिल रहा है। मछलियां बेचकर मां चंद्रहासिनी महिला स्व सहायता समूह की सभी 10 सदस्य आर्थिक रूप से मजबूत हो रही हैं। वह अब अपने परिवार के दैनिक जरूरत को आसानी से पूरा करते हुए परिवार का मजबूत सहारा बन गई हैं। इसके साथ ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था में भी महिलाओं का योगदान धीरे-धीरे बढ़ने लगा है।
एक और जहां अमृत सरोवर निर्माण से ग्रामीणों को रोजगार और व्यावसायिक गतिविधियों का जरिया मिल तो दूसरी ओर 20 एकड़ के बड़े क्षेत्र में 5 लाख घन मीटर पानी का संचय करने से आस-पास के 50 एकड़ क्षेत्र में भू-जल स्तर में वृद्धि करते हुए सिंचाई की सुविधाओं का विस्तार हुआ। साथ ही क्षेत्र में लगे हैंडपंप एवं ट्यूबवेल में पानी पहले से और बेहतर आने लगा है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना का मूल उद्देश्य है कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर प्रदान कर ऐसी परिसंपत्तियों के निर्माण किया जाए जो आजीविका का केंद्र बनकर प्राकृतिक संतुलन का सशक्त जरिया बने।ग्राम बिरकोन का अमृत सरोवर निर्माण इसी कड़ी में एक बेहतर प्रयास का उदाहरण है।
CNI NEWS कवर्धा छत्तीसगढ़ से अनवर खान की रिपोर्ट