श्रृष्टि के विकास के लिए भगवान विभिन्न रूपों में अवतरित हुए , भगवान श्री परशुराम जी छठवें अवतार ।संध्या काल में पूजा विशेष फलदायी. ।

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सी एन आइ न्यूज-पुरुषोत्तम जोशी ।
_जब श्रृष्टि शुरू हुई, श्रृष्टिके विकास का क्रम भगवान ने जब आगे बढ़ाना चाहा, तो भगवान को ही विभिन्न रूपों में अवतरित होना पड़ा। भगवान श्री परशुराम जी का अवतार छठवें अवतार के रूप में हुआ है, वे दुष्ट स्वभाव वाले क्षत्रियों का विनाश करके शास्त्र मर्यादित ब्रह्माणत्व व्यवहार की स्थापना की ।
भगवान श्रीविष्णु के यह छठा अवतार, जो परशुरामजी” के रूपमें हुआ है, सन्ध्या काल में हुआ था। भविष्य पुराण के अनुसार –

वैशाखस्य सिते पक्षे तृतीया ऋक्ष रोहिणी।_
निशाया: प्रथमे यामे समाख्य: समये हरि:॥

अर्थात्
वैशाख शुक्ल पक्षकी तिथि तृतीया, नक्षत्र रोहिणी के संयोग में, निशा अर्थात रात्रि के पहले का याम कहने का तात्पर्य सन्ध्या के वक्त अवतरित हुए थे। आज वही दिन है, जो सन्ध्या समय के वक्त तृतीया है, इसलिए भगवान श्री परशुराम जी अवतार की विशेष पूजा आज की शाम ही होगी ।

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