आज से शुरू होगा ज्येष्ठ मास,इस महीने जल सेवा, व्रत, पूजा -पाठ और दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है।

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सी एन आइ न्यूज-पुरुषोत्तम जोशी ।
रायपुर -हिंदू धर्म में ज्येष्ठ माह का विशेष महत्व होता है। यह महीना वैशाख के बाद आता है और हिंदू पंचांग का तीसरा महीना होता है। ज्येष्ठ माह को आम बोलचाल में जेठ महीना भी कहा जाता है। इसमें गर्मी अपने चरम पर होती है। इसलिए यह महीना तप, संयम और सेवा का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक दृष्टि से इस माह में जल सेवा, व्रत, पूजा और दान-पुण्य का विशेष महत्व बताया गया है। खासकर किसी प्यासे को शर्बत या ठंडा पानी पिलाना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है।
इस साल ज्येष्ठ मास की शुरुआत 13 मई 2025, मंगलवार से हो रही है और यह 11 जून, 2025, बुधवार को समाप्त होगा। ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 12 मई की रात 10:25 बजे शुरू होकर 13 मई की रात 12:35 बजे तक रहेगी। इसी आधार पर पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास की गणना 13 मई से मानी जाएगी।

ज्येष्ठ माह का धार्मिक महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बजरंगबली की भगवान राम से पहली मुलाकात ज्येष्ठ माह में पड़ने वाले मंगलवार को हुई थी। इसलिए इस माह में पड़ने वाले सभी मंगलवार को ‘बड़ा मंगल’ या ‘बुढ़वा मंगल’ के नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस माह में हनुमान जी और भगवान राम की पूजा-अर्चना करने से विशेष लाभ होता है और जीवन में सुख-शांति आती है। साथ ही, इस दिन दान-पुण्य करने से भी बहुत पुण्य मिलता है। कई स्थानों पर इस दिन हनुमान मंदिरों में भंडारे और जल सेवा भी आयोजित की जाती है।

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