ब्रह्मलीन पायलट बाबा की उत्तराधिकारी बनीं जापानी साध्वी कैवल्या

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ब्रह्मलीन पायलट बाबा की उत्तराधिकारी बनीं जापानी साध्वी कैवल्या

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

हरिद्वार – श्री पंचदश नाम जूना अखाड़े के ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर पायलट बाबा के उत्तराधिकारी की आज आयोजित सभा में जूना अखाड़े के महंत व संतों ने घोषणा कर दी है। घोषणा के तहत बाबा की जापान की रहने वाली शिष्या योगमाता साध्वी कैवल्या देवी (केको आईकोवा) को उनका उत्तराधिकारी नियुक्त किया गया है। इन्हें पायलट बाबा आश्रम ट्रस्ट का अध्यक्ष और दो अन्य शिष्याओं महामंडलेश्वर साध्वी चेतनानंद गिरि और साध्वी श्रद्धा गिरि को ट्रस्ट का महामंत्री बनाया गया है। इस मौके पर तमाम साधु संत मौजूद रहे , जिन्होंने विधिवत तरीके से बाबा के उत्तराधिकारी और महामंत्रियों की घोषणा की।

कौन हैं कैवल्या देवी

योग माता केको आईकावा जापान की जानी मानी भू समाधि विशेषज्ञ है। ये हिमालय में ध्यान और योग की अंतिम अवस्था प्राप्त करके सिद्ध गुरू बनने वाली पहली और एकमात्र महिला के साथ ही एकमात्र विदेशी भी हैं। चालीस से अधिक वर्षों से ध्यान और योग पर एक विशेषज्ञ के रूप में उन्होंने जापान में इन प्रथाओं को पोषित करने में सक्रिय रूप से भाग लिया है। वर्ष 1985 में योगमाता केको आईकावा ने जूना अखाड़े के अंतर्राष्ट्रीय संरक्षक हरि गिरि महाराज से मुलाकात कर उनके मार्गदर्शन में हिमालय में 5000 से 6000 मीटर की ऊंचाई पर कठोर प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसके बाद उन्होंने परम समाधि प्राप्त की , जिसका अर्थ अपने मन और शरीर पर पूर्ण नियंत्रण रखना है। वर्ष 1991 से 2007 तक उन्होंने सत्य को प्रमाणित करने और विश्व शांति को बढ़ावा देने के लिये पूरे भारत में समाधि के अठारह सार्वजनिक दर्शन किये। वर्ष 2007 में योगमाता आईकावा को भारत के सबसे बड़े आध्यात्मिक तप संघ , जूना अखाड़ा से ‘महामंडलेश्वर’ की उपाधि मिली।

कौन है पायलट बाबा

देश के प्रसिद्ध पायलट बाबा का असली नाम कपिल सिंह था और उनका जन्म बिहार के रोहतास जिले के सासाराम में एक राजपूत परिवार में हुआ था। बाबा ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की और इसके बाद भारतीय वायु सेना में विंग कमांडर के पद पर सेवा दी। उन्होंने वर्ष 1962 , 1965 और 1971 की लड़ाईयों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और इसके लिये उन्हें सम्मानित भी किया गया। पायलट बाबा का जीवन बदलने वाला क्षण वर्ष 1996 में आया , जब वे पूर्वोत्तर भारत में मिग विमान उड़ा रहे थे। उस समय उनके विमान का नियंत्रण खो गया था और उसी दौरान उन्हें उनके गुरु हरि गिरी महाराज का दर्शन प्राप्त हुआ। इस अनुभव ने बाबा को वैराग्य की ओर प्रेरित किया और उन्होंने शांति और अध्यात्म का मार्ग अपनाने का निर्णय लिया। इसके बाद उन्होंने सेना की लड़ाई से दूरी बना ली और अपने जीवन को अध्यात्म के प्रति समर्पित कर दिया। पायलट बाबा ने सैन्य जीवन के बाद सन्यास धारण कर लिया और जूना अखाड़े से जुड़ गये। वर्ष 1998 में उन्हें जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर का पद प्राप्त हुआ और वर्ष 2010 में उन्हें उज्जैन के जूना अखाड़ा शिवगिरी आश्रम नीलकंठ मंदिर का पीठाधीश्वर नियुक्त किया गया। इस तरह से वे आध्यात्म की राह अपनाकर आध्यात्मिक गुरू बन गये। लम्बे समय से बीमार चल रहे महामण्डलेश्वर पायलट बाबा (86 वर्षीय) बीते दिनों 20 अगस्त मंगलवार को उपचार के दौरान मुम्बई के अस्पताल में ब्रह्मलीन हो गये थे , उसके बाद उसका पार्थिव शरीर हरिद्वार स्थित आश्रम लाया गया और गुरूवार को उन्हें जगजीतपुर स्थित आश्रम में हजारो साधु संतों की उपस्थिति में भू-समाधि दी गई। पायलट बाबा के सबसे ज्यादा अनुयायी रूस , यूक्रेन और जापान में हैं। देश में बिहार , नैनीताल , हरिद्वार , उत्तरकाशी , गंगोत्री आदि स्थानों पर पायलट बाबा के आश्रम हैं। पायलट बाबा की स्थिति यह रही कि वह कुंभ और विशेष पर स्नान पर अपने अलग साज-सज्जा के साथ शाही स्नान में शामिल हुआ करते थे।

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