धूमधाम से किया गया मां अष्टभूजी का विसर्जन

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अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

जांजगीर चाम्पा – शारदीय नवरात्रि के पावन अवसर पर हमारे देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी जगतजननी माता दुर्गा की पूजा आराधना बड़े जोर शोर से चल रही है। इसी कड़ी में जाज्वल्य जिले के नवागढ़ विकासखंड अंतर्गत आने वाले मांँ शवरीन दाई की पावन धरा ग्राम अमोरा (महंत) में भी जय मांँ अष्टभुजी समिति द्वारा विगत कई वर्षों की भांति इस वर्ष भी मांँ दुर्गा की पूजा आराधना की गई। पूरे गांव में सागर तालाब में ही एकमात्र दुर्गा की स्थापना की गई थी , जिसके चलते पूरे गांव में उत्साह का माहौल था। इस संबंध में समिति के संचालक जितेंद्र तिवारी ने बताया कि हमारी समिति विगत बाईस वर्षों से मांँ दुर्गा की स्थापना कर रही है जिसके आचार्य पंडित विश्राम प्रसाद पांडेय एवं सहयोगी मणिशंकर दुबे और मुख्य यजमान श्रीमति श्वेता देवेन्द्र तिवारी रहे। उन्होंने आगे बताया कि अयोध्या से यहांँ पहुंँचे फलाहारी बाबा की प्रेरणा से उन्होंने वर्ष 2005 में पहली बार अष्टभुजी की स्थापना की थी जो अनवरत चल रही है और हमारा प्रयास है कि हर वर्ष ऐसे ही माता रानी की सेवा होती रहे। उन्होंने अपने समिति द्वारा किये गये सेवा कार्यों के बारे में जानकारी देते हुये बताया कि उन्होंने अपने सभी सहयोगी मित्रों के सहयोग से सागर तालाब में शनिदेव मंदिर , अर्धनारीश्वर सहित शेर , बंदर , नंदी महाराज की प्रतिमा बनवाकर पूरे मंदिर परिसर का मनमोहक एवं आकर्षक सौंदर्यीकरण किया है। नवरात्रि में लगातार नौ दिनों तक भक्तों ने विधि विधान के साथ आदिशक्ति मां दुर्गा की उपासना की , इस दौरान भजन संध्या के साथ ही झांकी स्थल पर अनेक धार्मिक आयोजन किये गये और नौ दिनों तक झांकी के दर्शन करने के लिये भक्तों की भीड़ लगी रही। प्रतिमा विसर्जन से पहले महाष्टमी के पावन पर्व पर कन्या भोजन का आयोजन भी विधि विधान से सम्पन्न हुआ। इसी तरह से महानवमीं की रात्रि में होम –हवन में भी बड़ी संख्या में भक्तगण उपस्थित रहे। इन सभी कार्यक्रमों के बाद आज विजयादशमी को माँ दुर्गा का विसर्जन देवरहा तालाब में उत्साह के साथ किया गया। इसके पहले पांडाल से मांदर की थाप पर मां दुर्गा को वाहन में सजाकर जुलूस की शक्ल में भक्तों द्वारा नृत्य करते देवरहा तालाब ले जाया गया। विभिन्न अस्त्र शस्त्रों के साथ भक्ति भजन में नाचते कूदते भक्तों की टोली साथ – साथ चल रहे थे। भजन-कीर्तन के संग जुलूस गांव की गलियों से होता हुआ गंतव्य की ओर बढ़ रहा था। मां के दर्शन के लिये लोग घरों से निकल बाहर निकल पड़े और रास्ते भर श्रद्धालुओं ने फूल माला और श्रीफल अर्पित कर पूजा करते हुये मां दुर्गा को विदाई दी। विसर्जन स्थल पर पहुंचकर देवी मां से अगले साल फिर आने का आग्रह किया गया और हाथ जोड़कर भक्तों ने अपनी कमियों के लिये क्षमा मांगते हुये वैदिक मंत्र व रीति रिवाज से प्रतिमाओं को विसर्जित किया। इस दौरान पूरा तालाब परिसर जय माता जी के जयकारे से गूंज रहा था। नवरात्रि की अगली कड़ी में रविवार एकादशी के दिन गाँव में स्थापित लगभग पचास जोड़ी गौरी रानी की झांकियाँ बाजे गाजे के साथ निकालकर शस्त्र प्रदर्शन करते हुये महाआरती के बाद सागर तालाब में विसर्जन किया जायेगा।

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