प्रथम राष्ट्रीय पैरा योगासन स्पोर्ट्स प्रतियोगिता ने रचा इतिहास

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अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

नई दिल्ली – योग भारत की एक प्राचीन परंपरा है जो शरीर , मन और आत्मा के सामंजस्य और एकता का प्रतीक है। यह केवल व्यायाम नहीं बल्कि तनाव कम करने , एकाग्रता बढ़ाने , शारीरिक लचीलापन और शक्ति प्राप्त करने तथा संपूर्ण स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देने वाली एक समग्र प्रणाली है। योग का संस्कृत में अर्थ ‘जुड़ना’ है जो व्यक्ति को स्वयं , प्रकृति और ब्रह्मांड से जोड़ने का एक मार्ग है। 
उक्त बाते मुख्य अतिथि प्रतापराव जाधव आयुर्वेद , योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा , यूनानी , सिद्ध एवं होम्योपैथी (आयुष) मंत्रालय भारत सरकार के स्वतंत्र प्रभार मंत्री ने भारत के राष्ट्रीय पैरा योगासन स्पोर्ट्स प्रमोशन कमिटी व नवयोग सूर्योदया सेवा समिति के संयुक्त तत्वाधान में मोरारजी देसाई नेशनल इंस्टिट्यूट आफ योग अशोका रोड नई दिल्ली में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय दिव्यांग योगासन खेल प्रतियोगिता का शुभारंभ करते हुये कही। उन्होंने आगे कहा योग एक प्राचीन अभ्यास है जो व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिये मन और शरीर को जोड़ता है। ऐसा माना जाता है कि योग की उत्पत्ति भारत में हुई है। योग में शामिल मुख्य प्रक्रियायें ध्यान , शारीरिक गतिविधियाँ , हाव भाव और कुछ श्वास तकनीकें हैं। योग से अच्छे स्वास्थ्य परिणाम प्राप्त करने के लिये सही शारीरिक आसन और श्वास नियंत्रण अभ्यासों का पालन करना आवश्यक है। सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त करने के लिये इन सभी गतिविधियों का नियमित पालन अनिवार्य है। मुख्य अतिथि ने नियमित योगाभ्यास सहनशक्ति , लचीलापन , शांति , शारीरिक शक्ति को बढ़ावा देगा और अंततः व्यक्ति को खुशी प्रदान करेगा। समर्पण और एकाग्रता योग के दो अनिवार्य अंग हैं। शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों में समग्र सुधार का अनुभव करने के लिये व्यक्ति को इस प्रक्रिया में पूरी तरह से समर्पित होना चाहिये। सरल शब्दों में हम योग को मन (आत्मा) और भौतिक शरीर के बीच की दूरी को पाटने वाली एक शारीरिक क्रिया के रूप में परिभाषित कर सकते हैं। इसे कला और विज्ञान का एक ऐसा मिश्रित रूप माना जा सकता है जो व्यक्तियों को एक शांत और स्वस्थ जीवन शैली जीने में मदद करता है। उन्होंने प्रतियोगिता को योगासन के इतिहास का स्वर्णिम अध्याय बताते हुये देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के संकल्पना एक पृथ्वी , एक स्वास्थ्य के थीम की भावना पर बल दिया। इसके साथ ही उन्होंने योग को शारीरिक सीमाओं से परे जीवन का दर्शन बताते हुये प्रतियोगिता को केवल खेल नहीं बल्कि मानव दृढ़ संकल्प और समावेशिता का उत्सव कहा। उन्होंने आयुष मंत्रालय की प्रतिबद्धता दोहराते हुये कहा कि योग के लाभ प्रत्येक नागरिक तक पहुँचें। वहीं उन्होंने योगासन को राष्ट्रीय खेल परिदृश्य में एकीकृत करने की दिशा में इसे महत्वपूर्ण कदम बताया। इस प्रतियोगिता में विशेष रूप से अस्थि-बाधित , दृष्टिहीन और मूक-बधिर तीन श्रेणियों के प्रतिभागि भाग ले रहे हैँ,ओपन सेरेमनी में छत्तीसगढ़ की पारा योगासन खिलाडी चंचला पटेल ने एक पैर से मां तुझे सलाम संगीत में नृत्य की प्रस्तुती व वर्षा मिश्रा ने कलात्मक योगासन की प्रस्तुति दी,जिसकी मुख्य अतिथि सहित सभी दर्शकों ने सराहना की। इस प्रतियोगिता में बाईस राज्यों से आये दो सौ से अधिक योगासन खिलाड़ी भाग लिये। इस प्रतियोगिता में सुश्री मोनालिसा दास संयुक्त सचिव आयुष मंत्रालय , प्रो. मुरली मनोहर पाठक , कुलपति लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय , प्रो. (डॉ.) काशीनाथ समगंडी निदेशक मो.दे.रा.यो.सं., उदित सेठ अध्यक्ष योगासन भारत , डॉ. जयदीप आर्य, महासचिव, योगासन भारत , डॉ. नवदीप जोशी निदेशक पैरा योगासन स्पोर्ट्स प्रमोशन कमेटी , डॉ. विक्रम सिंह निदेशक प्रतिस्पर्धा , पूर्वी भारत जोन प्रभारी (पैरा योगासन ) शैलेन्द्र विशी और छत्तीसगढ़ कोच शर्मिला नायक विशेष रूप से उपस्थित थीं।

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