‘कुर्सी घोटाला’: ₹2500 की कुर्सी ₹9090 में खरीद, करोड़ों की लूट का अंदेशा! 18 दिन बाद भी जांच अधूरी,

0

जिला सिवनी मध्यप्रदेश
ज.प.लखनादौन ‘कुर्सी घोटाला’: ₹2500 की कुर्सी ₹9090 में खरीद, करोड़ों की लूट का अंदेशा! 18 दिन बाद भी जांच अधूरी, ! क्या तीन दिन की जांच महज ‘ढकोसला’ है पर्दाफाश

सी एन आई न्यूज
सिवनी (लखनादौन): जनपद पंचायत लखनादौन एक बार फिर भ्रष्टाचार के अथाह दलदल में गहरे धंसती दिख रही है। इस बार जनता का पैसा सीधे सरकारी खजाने से निकालकर कुछ सफेदपोशों की जेबों में भरने का महाखेल सामने आया है। मामला है प्रीकास्ट चेयर सीमेंट की कुर्सी’ की खरीद का, जिसमें ₹2500 की मामूली कुर्सी को ₹9000 तक की आसमान छूती कीमतों पर खरीदा गया। यह करोड़ों रुपए के घोटाले की ओर साफ इशारा कर रहा है और खुला खेल कमीशनखोरी व सांठगांठ की इंतहा है। शिकायत में ‘लक्ष्मी नायक ट्रेडर्स’ का नाम है, लेकिन क्या यह ‘लक्ष्मण नायक ट्रेडर्स’ होना चाहिए था? क्या यह जांच को भटकाने की पहली साजिश है?


‘घोटाले’ की जड़ें और सरकारी लूट का नंगा नाच
13 मई 2025 को कलेक्टर सिवनी की जनसुनवाई में युवराज पटेल ने एक सनसनीखेज शिकायत दर्ज कराई थी। उनका आरोप स्पष्ट था: जनपद पंचायत लखनादौन की विभिन्न ग्राम पंचायतों ने लक्ष्मी नायक ट्रेडर्स, छपारा (या शायद लक्ष्मण नायक ट्रेडर्स) से नियमों की सरेआम धज्जियां उड़ाते हुए प्रीकास्ट चेयर (सीमेंट की कुर्सी) खरीदी हैं। शिकायत के मुख्य बिंदु सरकारी तंत्र की खुली लूट और भ्रष्टाचार के संगठित गिरोह की कहानी कहते हैं:
कानून को ठेंगा: पंचायत अधिनियम और भंडारण अधिनियम का खुलेआम उल्लंघन किया गया। नियमों को ताक पर रखकर यह खरीद की गई, जो दर्शाता है कि भ्रष्टाचार की नींव पहले ही तैयार थी और इसे साजिशन अंजाम दिया गया।


गुणवत्ता का मज़ाक, दाम की लूट: खरीदी गई कुर्सियों की गुणवत्ता बेहद घटिया है, जबकि दाम कई गुना अधिक वसूले गए हैं। यह सीधे-सीधे सरकारी धन की बर्बादी और करदाताओं के पैसे की खुली लूट है।
फर्जी बिलिंग का महाखेल: जितने बिल लगाए गए हैं, उतनी कुर्सियां ग्राम पंचायतों में मौजूद ही नहीं हैं। यह फर्जी बिलिंग के जरिये करोड़ों के गबन की ओर साफ इशारा करता है। कुर्सियां कागजों पर खरीदी गईं, जबकि जनता का पैसा भ्रष्टाचारियों की जेबों में चला गया।


‘जांच’ का ‘नाटक’ या भ्रष्टाचार का पर्दाफाश? 18 दिन बाद भी नहीं आता-पता!
शिकायत के तुरंत बाद, जनपद पंचायत लखनादौन के प्रभारी मुख्य कार्यपालन अधिकारी, रवि कुमार सिहाग (IAS) ने आनन-फानन में एक जांच दल का गठन तो कर दिया। इस दल को मात्र 3 दिनों के भीतर जांच रिपोर्ट देने को कहा गया था, लेकिन आज 31 मई 2025 है, यानी शिकायत के 18 दिन बाद भी जांच का कोई अता-पता नहीं है। इस तथाकथित जांच पर सैकड़ों सवाल खड़े होते हैं, क्योंकि करोड़ों के इस घोटाले की जांच तीन दिनों में पूरी करना असंभव सा लगता है, और अब तो 18 दिन भी बीत चुके हैं:
क्या यह सिर्फ एक ‘आईवॉश’ है जनपद पंचायत में भ्रष्टाचार का यह पहला मामला नहीं है। पिछली जांचें भी अंधेरे में हैं। क्या यह जांच भी करोड़ों के इस घोटाले पर पर्दा डालने का एक और पैंतरा है? जांच के नाम पर गुमराह किया जा रहा है।


दलाल बाबूओं का जाल: आरोप है कि जनपद पंचायत में 30-35 साल से जमे बाबू और भ्रष्टाचारियों का एक मजबूत और गहरा गठजोड़ काम कर रहा है। क्या यह जांच इस शक्तिशाली नेक्सस को बेनकाब कर पाएगी
उच्चाधिकारियों की मिलीभगत पंचायत अधिनियम के अनुसार, ₹20,000 से अधिक के किसी भी कार्य के लिए तकनीकी स्वीकृति अनिवार्य है। यदि करोड़ों का यह घोटाला इन अधिकारियों की जानकारी और सहमति के बिना संभव नहीं, तो उन पर कड़ी कार्रवाई क्यों नहीं हो रही? क्या वे भी इस भ्रष्टाचार की चेन का हिस्सा हैं
जीएसटी चोरी का नंगा नाच: फर्जी ट्रेडर्स के माध्यम से बिल लगाकर राजस्व और जीएसटी की चोरी की जा रही है। ऐसे कई ‘ट्रेडर्स’ केवल कागजों पर हैं; मोमबत्ती लेकर ढूंढने पर भी उनकी दुकानें नहीं मिलेंगी। यह फर्जी बिल माफिया का एक बड़ा नेटवर्क है।


धारा 40 की तलवार कब चलेगी? जब भ्रष्टाचार इतना स्पष्ट है और साक्ष्य सामने हैं, तो संबंधित ग्राम पंचायतों के सरपंचों, सचिवों और इस ‘कुर्सी माफिया’ के खिलाफ धारा 40 के तहत सीधी आपराधिक कार्रवाई क्यों नहीं हो रही? क्या कानून केवल आम आदमी के लिए है?
लखनादौन ‘कुर्सी घोटाला’ जांच: कौन कहां करेगा पड़ताल एसडीएम लखनादौन
प्रभारी मुख्य कार्यपालन अधिकारी रवि कुमार सिहाग ने पांच सेक्टरों में अधिकारी/कर्मचारी नियुक्त किए थे:
आदेगांव/बैगापिपरिया सेक्टर: श्री मनेशालाल इनवाती (पीसीओ) और श्री निखिल भांगरे/श्री महेन्द्र चौहान (उपयंत्री) क्रमशः करछुवाई, भौरगढी और बावली ग्राम पंचायतों की जांच करेंगे।
धनककडी सेक्टर: श्री केवलराम उड़के (पीसीओ) और कु० वैशाली राजपुत (उपयंत्री) पाठादेवरी और लिंगपानी की पड़ताल करेंगे।
घुमा सेक्टर: श्री आर. के. डहेरिया (पीसीओ) और श्री अर्जुन उइके (उपयंत्री) घोघरीकला सहित 6 ग्राम पंचायतों का जिम्मा संभालेंगे।
मढी सेक्टर: श्री रविशंकर गौतम (पीसीओ) और श्री अनूप हेडउ (उपयंत्री) पाटर सहित 5 ग्राम पंचायतों में कुर्सियों की खरीद की पड़ताल करेंगे।
अब ‘जांच’ नहीं, ‘जेल’ चाहिए!


स्थानीय जनता और जागरूक नागरिकों का गुस्सा चरम पर है। उनका कहना है कि यह केवल एक अनियमितता नहीं, बल्कि संगठित अपराध है। भुगतान पहले ही निकाल लिया जाता है, और कमीशन का बंटवारा नीचे से ऊपर तक होता है। उन ग्राम पंचायतों में भी कुर्सियां खरीदी जा रही हैं जहाँ उनकी कदापि आवश्यकता नहीं है। यह अनुपयोगी वस्तुओं की खरीद के नाम पर सरकारी धन की बर्बादी का नया तरीका है।
इस पूरे घिनौने और करोड़ों के प्रकरण में सख्त, त्वरित और पारदर्शी कार्रवाई की नितांत आवश्यकता है, ताकि दोषियों को जेल की सलाखों के पीछे धकेला जा सके और भविष्य में ऐसे महाघोटालों पर स्थायी अंकुश लगाया जा सके। क्या प्रशासन इस भ्रष्टाचार के नेक्सस को तोड़ने की हिम्मत दिखाएगा, या जनता को एक बार फिर निराशा ही हाथ लगेगी? क्या सिर्फ तीन दिनों में करोड़ों के इस घोटाले की परतें खुल पातीं, और अब 18 दिन बाद भी जब कोई रिपोर्ट नहीं आई है, तो क्या यह जांच भी महज औपचारिकता बनकर रह जाएगी जनता अब केवल पर्दाफाश नहीं, बल्कि न्याय और भ्रष्टाचारियों को जेल में देखना चाहती है।


जिला ब्यूरो छब्बी लाल कमलेशिया की रिपोर्ट

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed