डॉ.खूबचंद बघेल जी का नाम बदलना छत्तीसगढ़ एवं कुर्मी समाज के लिए अपमान – पंकज

बलौदाबाजार:- पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार के द्वारा आरंभ किए गए डॉक्टर खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना के नाम बदले जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बलौदाबाजार-भाटापारा युवा कांग्रेस के जिला मीडिया संयोजक पंकज वर्मा ने कहा कि साय सरकार के आने के बाद से छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है सरकारी अस्पतालों में ना जांच हो रही है ना इलाज। दवाइयों के अभाव में मरीज खाली हाथ लौटने पर मजबूर है टीबी तक की दवा सरकारी अस्पतालों में नहीं मिल रहा है मरीज को पोषण आहार सहायता राशि भाजपा की सरकार आने के बाद से बंद है।
पंकज ने कहा कि नियमित पदों पर भर्ती रोक रखी है दैनिक वेतन भोगियों को निकाला जा रहा है अनियमित कर्मचारियों के वेतन रोक दिया गया है आयुष्मान कार्ड से इलाज करने वाले अस्पतालों का भुगतान रोक दिया गया है कई छोटे अस्पताल जो आयुष्मान से इलाज पर निर्भर थे, उन में तालाबंदी की नौबत आ गई है। अपनी नाकामी को ढकने के लिए दुर्भावनापूर्वक छत्तीसगढ़ के स्वप्नदृष्टा डॉ. खूबचंद बघेल के नाम पर चालू किए गए महत्वाकांक्षी स्वास्थ्य सहायता योजना का नाम बदल दिया गया है। भाजपा सरकार की दुर्भावना और अकर्मण्यता के चलते ही छत्तीसगढ़ में मरीज बे- मौत मरने पर मजबूर पर है साय सरकार को योजना का नाम बदलने के बजाय बेहतर क्रियान्वन पर ध्यान देना चाहिए।
पंकज वर्मा ने कहा कि भाजपा की सरकारे पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर दुर्भावना पूर्वक काम करती है। छत्तीसगढ़ की पत्रकारिता में चंदूलाल चंद्राकर, माधवराव सप्रे, पंडित सुंदरलाल शर्मा जैसे युग पुरुष हुए लेकिन पत्रकारिता विश्वविद्यालय के नाम पर संचालित है , पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार ने पत्रकारिता विश्वविद्यालय का नाम चंदूलाल चंद्राकर जी के नाम पर करने का प्रस्ताव छत्तीसगढ़ विधानसभा में पारित किया था भारतीय जनता पार्टी के इशारे पर आज तक राजभवन में लंबित है
पंकज वर्मा ने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार ने विगत 5 वर्षों में छत्तीसगढ़ में 54 नई योजना संचालित की वर्तमान भाजपा की पुरानी योजनाओं का नाम बदलने का काम कर रही है पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार ने छत्तीसगढ़ के 13 विश्वविद्यालय में स्थानीय प्रतिभाओं को नियुक्त किया था कुलपति के पद पर योग्य छत्तीसगढ़िया विभूतियों को अवसर मिला भारतीय जनता पार्टी की सरकार अपनी नाकामियों को ढकने के लिए महापुरुषों के नाम पर केवल राजनीतिक कर रही है ।
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