आषाढ़ अमावस्या आज,कृष्णपक्ष की अमावस्या तिथि पितरों को समर्पित मानी जाती है, दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है।

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सी एन आइ न्यूज-पुरुषोत्तम जोशी।
आषाढ़ अमावस्या का हिंदूधर्म में विशेष महत्व है। आषाढ़ मास के कृष्णपक्ष की अमावस्या तिथि पितरों को समर्पित मानी जाती है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने, ध्यान पूजन करने और दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है। इसके साथ ही आषाढ़ अमावस्या पर विधिपूर्वक पूजन करने और दान करने से पापों से मुक्ति मिलती है।

आषाढ़ मास के कृष्णपक्ष की अमावस्या तिथि 24 जून को शाम 7 बजे शुरू होगी और 25 जून को शाम 4.02 बजे समाप्त होगी। ऐसे में आषाढ़ अमावस्या 25 जून 2025 यानी बुधवार को मान्य होगी। ऐसे में पितृकर्म से संबंधित कार्य 25 जून को मान्य होंगे। सूर्योदय के समय अमावस्या तिथि 25 जून को होगी इसलिए स्नान दान भी इसी दिन शुभ होंगे। इस दिन वृद्धि योग, वेशी योग, गुरु आदित्य योग का शुभ संयोग बनेगा। इस समय दान पुण्य आदि काम उत्तम माने जाएंगे। साथ ही साथ आषाढ़ अमावस्या पर गजकेसरी योग का भी सुंदर संयोग बनेगा।

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