अजय अमृतांशु की प्रथम कृति “ये कलजुग के गोठ” का हुआ भव्य विमोचन

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मोहम्मद अज़हर हनफी ब्यूरो चीफ बलौदाबाजार-भाटापारा

नगर के युवा साहित्यकार अजय अमृतांशु ने अपने साहित्यिक सफर में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। उनकी प्रथम कृति “ये कलजुग के गोठ” (कुण्डलिया संग्रह) का विमोचन राजधानी रायपुर के वृंदावन हॉल में आयोजित “छन्द के छ” के स्थापना दिवस समारोह में किया गया।  

 

इस गरिमामयी समारोह में छत्तीसगढ़ी भाषा की 10 छन्दबद्ध कृतियों का विमोचन हुआ, जिसमें अजय अमृतांशु की कृति विशेष रूप से ध्यान आकर्षित कर रही थी। इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ. अभिलाषा बेहार (सचिव, छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग) तथा अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार रामेश्वर शर्मा ने की। विशेष अतिथि के रूप में डॉ. सुधीर शर्मा उपस्थित रहे। आयोजन का संयोजन **“छन्द के छ” के संस्थापक अरुण कुमार निगम ने किया।  

 

अजय अमृतांशु को उनके उत्कृष्ट साहित्यिक योगदान के लिए “छत्तीसगढ़ी छन्द रत्न सम्मान” से सम्मानित किया गया। उनकी कृति ने साहित्य प्रेमियों के बीच विशेष चर्चा का विषय बनी। समारोह में प्रदेश के 20 जिलों से सैकड़ों साहित्यकार उपस्थित थे, जिन्होंने इस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनने का गौरव प्राप्त किया।  

 

साहित्य जगत के प्रमुख व्यक्तित्वों, जैसे दुर्गा प्रसाद साहू, बलदेव भारती, नरेंद्र वर्मा, रघुनाथ पटेल, मुकेश शर्मा, जगदीश साहू, कन्हैया श्रीवास, हेमंत दास मानिकपुरी, डॉ. सीमा अवस्थी, मनीष तिवारी, हेतराम कुर्रे आदि ने अजय अमृतांशु को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी और उनके योगदान को सराहा।  

 

अजय अमृतांशु की “ये कलजुग के गोठ” न केवल उनकी साहित्यिक प्रतिभा को दर्शाती है, बल्कि छत्तीसगढ़ी भाषा में छन्द परंपरा को नई ऊँचाइयों तक ले जाने का संदेश भी देती है। यह विमोचन छत्तीसगढ़ी साहित्य में एक नए अध्याय की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है।

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