डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर का महापरिनिर्वाण दिवस आज-संविधान के रचयिता और दलितों के मसीहा बाबासाहेब डां.बी.आर.अंबेडकर की पुण्यतिथि पर श्रृद्धाजंलि ।

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डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर का महापरिनिर्वाण दिवस आज-संविधान के रचयिता और दलितों के मसीहा बाबासाहेब डां.बी.आर.अंबेडकर की पुण्यतिथि पर श्रृद्धाजंलि । सी एन आइ न्यूज-पुरुषोत्तम जोशी।
हर साल 6 दिसंबर का दिन भारत रत्न डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर की पुण्यतिथि को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है। महापरिनिर्वाण दिवस 2025 संविधान के रचयिता और दलितों के मसीहा बाबासाहेब डॉ. बीआर अंबेडकर की 70वीं पुण्यतिथि है। 1956 में इसी दिन उनकी मृत्यु हुई थी। डॉ. बीआर अंबेडकर की पुण्यतिथि को देश भर में महापरिनिर्वाण दिवस के तौर पर मनाया जाता है। डॉ. अंबेडकर ने वर्ष 1956 में हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपनाया था वह हिंदू धर्म के कई तौर तरीकों से काफी दुखी हो गए थे। परिनिर्वाण बौद्ध धर्म के प्रमुख सिद्धांतों और लक्ष्यों में से एक है। इसका मतलब ‘मौत के बाद निर्वाण’ होता है। बौद्ध धर्म के मुताबिक जो व्यक्ति निर्वाण प्राप्त करता है वह संसारिक इच्छाओं, मोह माया से मुक्त हो जाता है। निर्वाण की अवस्था हासिल करना बेहद कठिन होता है। इसके लिए किसी को बहुत ही सदाचारी और धर्मसम्मत जीवन जीना होता है। 80 साल की आयु में भगवान बुद्ध के निधन को असल महापरिनिर्वाण कहा गया है। यह बौद्ध कैलेंडर के अनुसार सबसे पवित्र दिन होता है। महापरिनिर्वाण दिवस डॉ. बीआर अंबेडकर की परिवर्तनकारी विरासत के लिए श्रद्धांजलि के रूप में बहुत मायने रखता है। डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर बड़े समाज सुधारक और विद्वान थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन जातिवाद को खत्म करने और गरीब, दलितों, पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए अर्पित किया। उनके अनुयायियों का मानना है कि उनके गुरु भगवान बुद्ध की तरह ही काफी सदाचारी थे। डॉ. आंबेडकर अपने महान कार्य व सदाचारी जीवन की वजह से निर्वाण प्राप्त कर चुके हैं। यही वजह है कि उनकी पुण्यतिथि को महापरिनिर्वाण दिवस या महापरिनिर्वाण दिन के तौर पर मनाया जाता है।

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