रुक्मणी और श्रीकृष्ण का विवाह प्रेम, समर्पण और भक्ति का प्रतीक है।

रुक्मणी और श्रीकृष्ण का विवाह प्रेम, समर्पण और भक्ति का प्रतीक है। सी एन आइ न्यूज-पुरुषोत्तम जोशी। अमरावती – उपाध्याय परिवार द्वारा आयोजित भागवत कथा में विद्वान पं.धर्मवीर जी ब्रजवासी के श्रीमुख से कथा का वाचन किया जा रहा है। आज कथा के छठवें दिवस रुक्मिणी और श्रीकृष्ण के विवाह का वर्णन बहुत ही सुंदर ढंग से किया गया , रुक्मिणी विदर्भ की राजकुमारी थीं, और श्रीकृष्ण द्वारका के राजा। रुक्मिणी के भाई रुक्मी ने उन्हें शिशुपाल के साथ विवाह करने का दबाव डाला, लेकिन रुक्मिणी श्रीकृष्ण से प्रेम करती थीं। रुक्मिणी ने श्रीकृष्ण को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने अपनी भावनाएं व्यक्त कीं। श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी को हरण कर लिया और उनसे द्वारका में विवाह कर लिया। भागवत कथा में यह विवाह प्रेम और समर्पण का एक सुंदर उदाहरण के रूप में दिखाया गया । कथा में सैकड़ों की संख्या में उपस्थित श्रृद्धालुओं ने भक्ति भाव से कथा का श्रवण कर बधाईयां बांटी।
