पांवर उद्योग से निकल रहा जहरीली धुआंअदाणी पांवर उद्योग की मनमानी के चलते लोगों की जीवन निर्वाह दुश्वार ।
रिपोर्टर अजय नेताम
तिल्दा-नेवरा। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगे समीपस्थ क्षेत्र में संचालित उद्योगों से निकलने वाली जहरीली धुआं जहां लोगों को मौत का ग्रास बना रहा है ।वहीं मजदुरो का शोषण करने का भी आरोप है। तिल्दा ब्लांक के ग्राम रायखेडा में संचालित अदाणी पावर उद्योग की मनमानी के चलते लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकुल प्रभाव पड़ रहा है ,यही नहीं स्थानीय मजदुरो का शोषण का भी आरोप है । ग्राम रायखेडा में संचालित अदाणी पांवर उद्योग हमेशा से विवादों में घीरा रहा है । क्षेत्र में संचालित उद्योग अधिकतर दिन में प्रदुषण नियंत्रक ई एस पी को चालू रखा जाता है वहीं रात को नियमो को ताक में रखकर ई एस पी बंद किया जाता है ,जिसके जहरीली धुआं का घटानुमा आच्छादित होना इस बात का प्रमाण है कि किस कदर लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ करते हुए सरकार व आम नागरिकों के आंखो मे धुल झोंकने का खेल खेला जा रहा है। कथित उद्योग के मानक के विपरीत अधिक धुंआ ,जहरीली गैस का रिसाव से क्षेत्र की जनता का जीना मुहाल हो गया है । अदाणी पांवर उद्योग के चिमनी से निकलने वाली धुंआ लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकुल प्रभाव डाल रहा है । नजाकत यह हो गया है कि क्षेत्र के लोगों को खान पान सहित घर के रख रखाव को लेकर भारी तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है। चुंकि चिमनी से निकलने वाली यह धुंआ कोई सामान्य धुंआ नहीं है बल्कि यह वह जहरीली धुंआ है जो जनजीवन में दुष्प्रभाव डाल रहा है । खेत खलिहान की उर्वरा शक्ति क्षीण होती जा रही है। शासन को इस समस्या को लेकर गंभीरता बरतने की आवश्यकता है, चुंकि इन उद्योगों से जहां लोगों की जीवन पर प्रतिकुल प्रभाव पड़ रहा है ऐसे उद्योगों को सरकार कैसे अनदेखा कर सकती है ? सरकार को चिंतन करने की आवश्यकता है कि ऐसे उद्योग जिसे मानक के विपरीत संचालित कर लोगों के स्वास्थ्य के साथ अठखेलियां खेली जा रही है । उस पर लगाम लगाने की आवश्यकता है। सरकार को चाहिए कि ऐसे उद्योग की जांच किया जाना चाहिए जो मानक के विपरीत जहर उगल रही है । उद्योग के चिमनी से निकलने वाली धुंआ का प्रतिशत क्या है ,? उद्योग की मानक क्षमता कितनी है, और इस उद्योग की चिमनी से निकलने वाली धुंआ से कितना सीमाक्षेत्र प्रभावित हो रहा है,? उद्योगों के द्वारा परोसी जा रही मौत के सामाग्री से आखिरकार किसका नुकसान होना है । यह शासन और जनता को सोचने की आवश्यकता है । फिर भी शासन मौन है । आखिरकार इसके पिछे की वजह क्या है यह सवाल जनता के जेहन में बार बार हिलोरें मार रही है । कहा जाता है कि उद्योग संचालित होने से लोगों के घर परिवार का गुजर बसर चलता है लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है । प्रभावित क्षेत्र के लोगों का जीना दुश्वार हो गया है ।