पत्तल में भोजन करने से पानी बचत एवं पर्यावरण सुधार – योगाचार्य मिथलेश सिन्हा

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भूपेन्द्र सिन्हा

पत्तल में भोजन करने से पानी बचत एवं पर्यावरण सुधार – योगाचार्य मिथलेश सिन्हा

अंतराष्ट्रीय योग के लिए लगे 1 माह के विशेष योग शिविर में जानकारी दी

गरियाबंद/छुरा – पतंजलि युवा भारत छत्तीसगढ़ द्वारा गायत्री मंदिर लगी
अंतराष्ट्रीय योग के लिए लगे 1 माह के विशेष योग शिविर का आयोजन किया गया है “योग दिवस 2025 की थीम ‘एक पृथ्वी एक स्वास्थ्य के लिए योग’ रखी गई है। यानी हम योग के माध्यम से पूरी दुनिया को स्वस्थ बनाना चाहते हैं। पतंजलि युवा भारत छत्तीसगढ़ के सोशल मीडिया राज्य प्रभारी योगाचार्य मिथलेश सिन्हा ने पत्तल में भोजन करने के फायदे बताए उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में जो जो भी परंपराए है वह सभी वैज्ञानिक है। आयुर्वेदानुसार – जिस पत्तल में या बर्तन में भोजन परोसा जाता है उस पत्तल, भोजन में उस पत्तल के औषधि गुण प्राप्त होता है। महर्षि चरक, महर्षि सुश्रुत,एवं महर्षि वागभट्ट ने भी अपनी संहिताओं में पत्तल में भोजन के औषधि गुणों का वर्णन किया है आइए पत्तलों की परंपरा फिर से पुनर्जीवित करतेहैं…#पत्तल में भोजन के अद्भुत लाभ
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि हमारे देश मे 2000 से अधिक वनस्पतियों की पत्तियों से तैयार किये जाने वाले पत्तलों से भंडारे भोज आदि में उपयोग किया जाता था।आजकल है कुछ ही पत्तलों का उपयोग कर रहे हैं,आइए जानते हैं विभिन्न पत्तलों के औषधि गुण
1)आम तौर पर केले की पत्तियो मे खाना परोसा जाता है
केले के पत्ते में भोजन करने से शीतल, वात-पित्त शांत करने वाला होता है पाचन सुधारता है, त्वचा रोगो रोगों में लाभकारी तथा चांदी के बर्तन में भोजन करने का पुण्य व आरोग्य मिलता है।2) पलाश के पत्तल में भोजन करने से स्वर्ण के बर्तन में भोजन करने का पुण्य व आरोग्य मिलता है ।#रक्त की अशुद्धता के कारण होने वाली बीमारियों के लिये पलाश से तैयार पत्तल को उपयोगी माना जाता है। पाचन तंत्र सम्बन्धी रोगों के लिये भी इसका उपयोग होता है। आम तौर पर लाल फूलो वाले पलाश को हम जानते हैं पर सफेद फूलों वाला पलाश इस दुर्लभ पलाश से तैयार पत्तल को बवासिर (पाइल्स) के रोगियों के लिये उपयोगी माना जाता है। 3)साल का पत्ता – वात, कफ संतुलित, रुक्ष गुणवाला, अपच, कब्ज में लाभकारी होता है।
4)महुआ का पत्ता त्वचा रोग, हार्ट की बीमारी, जोड़ों का दर्द और डायबिटीज जैसी बीमारियों को ठीक करने में मदद करता है।महुआ का पत्ता एनीमिया (खून की कमी)की समस्या को दूर करता है। महुआ बुखार को ठीक करता है। इसके लिए महुआ के पत्तों को पानी में उबाल लें। जब पानी आधा हो जाए, तो इसे निकालकर पिएं।महुआ के पत्ते सिरदर्द से आराम दिलाते हैं। इसके लिए आप पत्तों के रस से सिर की मसाज कर सकते हैं। इसमें मौजूद औषधीय गुण सिरदर्द से आराम दिलाते हैं।


महुआ का पत्ता बलगम की समस्या को दूर करता है। बता दें कि बलगम के कारण ब्रोंकाइटिस ट्यूब में सूजन आ जाती है। ऐसे में महुआ के पत्ते में मौजूद औषधीय गुण बलगम से आराम दिलाते हैं।5)करंज की पत्तियों से तैयार पत्तल जोडो के दर्द के लिये उपयोगी माना जाता है। पुरानी पत्तियों को नयी पत्तियों की तुलना मे अधिक उपयोगी माना जाता है।6)अमलतास की पत्तलो को लकवा (पैरालिसिस) तंत्रिका रोगों में, पचन, कक, शरीर कमजोरी के लिए उपयोगी माना जाता है।7)कमल (पुरइन)के पत्ते को शीतल, हृदय , उच्च रक्तचाप के लिए लाभकारी बताया है। पर्यावरण के लिए लाभकारी पत्तल,पत्तलों से अन्य लाभ 1)सबसे पहले तो उसे धोना नहीं पड़ेगा, इसको हम सीधा मिटटी में दबा सकते है।2) पानी नष्ट होगा।3) ही कामवाली रखनी पड़ेगी, मासिक खर्च भी बचेगा।4) केमिकल उपयोग करने पड़ेंगे l5) केमिकल द्वारा शरीर को आंतरिक हानि पहुंचेगी।6)अधिक से अधिक वृक्ष उगाये जायेंगे, जिससे कि अधिक आक्सीजन भी मिलेगी।7)प्रदूषण भी घटेगा।8)सबसे महत्वपूर्ण झूठे पत्तलों को एक जगह गाड़ने पर, खाद का निर्माण किया जा सकता है, एवं मिटटी की उपजाऊ क्षमता को भी बढ़ाया जा सकता है।9)पत्तल बनाने वालों को भी रोजगार प्राप्त होगा।10)सबसे मुख्य लाभ, आप नदियों को दूषित होने से बहुत बड़े स्तर पर बचा सकते हैं, जैसे कि आप जानते ही हैं कि जो पानी आप बर्तन धोने में उपयोग कर रहे हो, वो केमिकल वाला पानी, पहले नाले में जायेगा, फिर आगे जाकर नदियों में ही छोड़ दिया जायेगा। जो जल प्रदूषण में आपको सहयोगी बनाता है।आजकल हर जगह भंडारे, विवाह शादियों , जन्मदिन के पार्टियों में डिस्पोजल की जगह इन पत्तलों का प्रचलन करना चाहिए। क्योंकि थर्माकोल एवं प्लास्टिक के पत्तल से भोजन करने से बहुत सी बीमारी तथा कैंसर कारक है। योगाचार्य मिथलेश सिन्हा खुद प्रतिदिन पलास के पत्तल में भोजन करते हैं।

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