लोगों के लिए साल में एक बार खुलती है गुफा 5 मई को खुलेगी रहस्यों भरी, मंड़ीप खोल की गुफा,साल भर से लोगो को रहता है इंतेज़ार,

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सोमेश लहरे खैरागढ़। साल भर से इंतज़ार कर रहे लोगों को 5 मई सोमवार को मंड़ीपखोल गुफा देखने और घुमने का मौका मिलेगा। 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया पर्व मनाया जाएगा। पर्व के ठीक चार दिन बाद पड़ने वाले पहले सोमवार को लोग ऐतिहासिक मंड़ीपखोल गुफा को देख पाएंगे। लोगों को साल भर से इस दिन का इंतजार रहता है क्योंकि मंडीपखोल गुफा प्राचीन मान्यता के अनुसार साल में केवल एक दिन अक्षय तृतीया पर्व के बाद आने वाले सोमवार को खुलती है।जानकारी अनुसार इस बार भी मंड़ीप खोल गुफा आने वाले लोगों की सहायता के लिए स्थानीय समिति गठित की गई है। समिति द्वारा इस दिन उमड़ने वाली भीड़ को व्यवस्थित एवं सुविधा मुहैया कराने का प्रयास किया जाएगा। पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण मंड़ीपखोल गुफा पहुंचने का मार्ग काफी दुर्गम है। समिति द्वारा मार्ग की पहचान, समतलीकरण, पेयजल एवं गुफा के आसपास सफाई कर लोगों को अन्य सुविधा उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है। गौरतलब है कि मंड़ीप खोल गुफा छुईखदान ब्लाक मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ग्राम पंचायत ठाकुरटोला के बाद जंगल रास्ते से यहां पहुंचा जाता है। मंडीपखोल गुफा पहुंचने के लिए कोई स्थाई मार्ग जहाँ है। जगल के उबड़ खाबड़ रास्तों से होकर यहां पहुंचा जाता है। यहां तक पहुंचने के लिए एक नदी के किनारे किनारे कभी एक छोर से दूसरे छोर से होते हुए पहुंचना पड़ता है। दिलचस्प बात यह है कि लोगों को एक ही नदी को अलग अलग जगहों पर लगभग सोलह बार पार करना पड़ता है।

शिवलिंग के दर्शन एवं पूजन

प्राचीन मंड़ीप खोल गुफा ठाकुरटोला जमीदारीअंतर्गत स्थित है। परंपरा अनुसार सर्वप्रथम राज परिवार के सदस्य कुल देवी को स्मरण कर गुफा का द्वार खोलते हैं। द्वार के चट्टान को हटाने से पहले हवाई फायर भी किया जाता है ताकि कोई जंगली जानवर गुफा में हो तो यहां से निकल जाए। गुफा में सबसे पहले प्रवेश जमीदार के परिवार के लोग करते है तथा गुफा में स्थित शिवलिंग सहित अन्य देवी-देवताओं का विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर क्षेत्र की खुशहाली की कामना करते हैं। साल में एक बार दर्शन करने का मौका मिलने वाले के कारण लोगों में भगवान शिव पर गहरी आस्था देखने मिलती है। जानकारी अनुसार कुछ साल पहले पुरातत्व विभाग ने गुफा का सर्वे किया था। कुछ कारण वस गुफा की लंबाई ज्ञात नहीं किया जा सका पर सर्वे में पाया गया कि यह गुफा भारत की पहली एवं एशिया का दूसरे बंबर की सबसे लंबी गुफा है। इस गुफा के अंदर इतिहास के कई रहस्य छुपे है। गुफा की लंबाई अधिक होने के कारण लोगों को टार्च, मोवाईल आदि की रौशनी के सहारे अंदर जाना पड़ता है। गुफा के अंदर का रास्ता चढ़ाव ऊतार वाला होने के साथ काफी सकरा है। लोग वैकल्पिक रौशनी के सहारे गुफा का भ्रमण करते हैं। गुफा के अंदर रौशनी पड़ने पर पत्थर टिमटिमाने लगते हैं जिससे गुप्फा की सुंदरता बढ़ जाती है।मंडीप खोल गुफा जिले के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। मंड़ीप खोल गुफा जिला के प्राचीन धरोहरों है जहां इतिहास और पुरातत्व का रहस्य छुपा हुआ है। साल में एक दिन खुलने से इसका महत्व बढ़ जाता है। ठाकुरटोला के बाद गुफा तक पहुंचने के लिए स्थाई मार्ग नहीं है। जंगल का सफर भी कठिन है। प्रशासनिक स्तर पर इस ओर ध्यान दिया जाये तो यह पर्यटन की वृष्टि से काफी विकसित हो सकता है।

साल में केवल एक बार खुलता है गुफा

साल में केवल एक बार अक्षय तृतीया के बाद आने वाले प्रथम सोमवार को यह गुफा खुलता है। दूर-दराज के सैकड़ों सैलानियों को इस दिन का बेसब्री से इंतजार रहता है। हर साल राज्य के विभिन्न जिलों के अलावा मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र के पर्यटक भी बड़ी संख्या में गुफा का रहस्य और रोमांच का आनंद लेने पहुंचते हैं।

श्वेत गंगा के नाम से है कुंड

इस रहस्यमई गुफा के अंदर श्वेत गंगा नाम का कुंड है जिसमें नहाने से सारे कुष्ठ रोग दूर हो जाते हैं। श्वेत गंगा नामक कुंड में नहा कर ही गुफा में प्रवेश कर शिवलिंग का दर्शन किया जाता है। श्वेत गंगा कुंड में डुबकी लगाने के लिए लोगों की कतार लगी रहती है। बताया जाता है कि इस कुंड में साल भर पानी निकलते रहता है।

पुलिस बल रहते है तैनात

इस रहस्यमय गुफा की मुख्य खास बात है कि पूरे साल भर में केवल अक्षय तृतीया के बाद पहले सोमवार को ही या गुफा खुलता है। इस रहस्यमयी गुफा में शिवलिंग की पूजा करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। पूरे रास्ते भर लोगों की भीड़ लगी रहती है। इसको लेकर सुरक्षा के लिए पुलिस बल भी तैनात रहते हैं।

सीएनआई न्यूज खैरागढ़ से सोमेश कुमार लहरे की रिपोर्ट

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