किसान पैरा न जलाएं, करें समुचित प्रबंधन: कृषि विभाग की एडवाइजरी
CNI NEWS के लिए मोहम्मद अज़हर हनफ़ी की रिपोर्ट
बलौदाबाजार, 21 दिसंबर 2024: धान कटाई के पश्चात् बचे पैरा को किसान भाई लोग काटना जरूरी नहीं समझते और इसे अनुपयोगी मानते हुए जला देते हैं। कृषि विभाग ने इस पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि पैरा जलाने से कृषि पर्यावरण और स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ता है। विभाग ने पैरा के समुचित प्रबंधन से मृदा एवं पर्यावरणीय स्वास्थ्य संरक्षण की अपील की है।
### **पैरा जलाने के दुष्परिणाम**
पैरा जलाने से वायु मंडलीय प्रदूषण बढ़ता है और कार्बन मोनो-ऑक्साइड, मिथेन, पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन और वाष्पशील कार्बनिक यौगिक जैसी विषैली गैसों का उत्सर्जन होता है। इससे स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ते हैं, जैसे त्वचा और आंखों में जलन, गंभीर हृदय और स्वास्थ्य संबंधी रोग। मृदा में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम जैसे आवश्यक पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं और मृदा का तापमान बढ़ता है, जिससे सूक्ष्म जीव विस्थापित या नष्ट हो जाते हैं।
### **पैरा का उचित प्रबंधन**
पैरा से ऑर्गेनिक खाद बनाया जा सकता है, जिससे मृदा की उर्वरक शक्ति बढ़ती है। आधुनिक यंत्र जैसे मल्चर, हैप्पी सीडर और सुपर सीडर का उपयोग करके पैरा को मिट्टी में मिलाया जा सकता है। बेलर का उपयोग करके पैरा का बंडल तैयार कर चारा के रूप में संग्रहित किया जा सकता है। पैरा का उपयोग डिस्पोजल प्लेट, कप, छप्पर निर्माण, पैकेजिंग सामग्री, कागज, बायो एथेनॉल और प्लाई उद्योग में भी किया जा सकता है। बड़े उद्योगों में इसे ईंधन के रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है। धान के पैरा का यूरिया से उपचार करके पशु चारे के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
### **पैरा से खाद कैसे बनाएं**
किसान भाई पैरा के निस्तारण के लिए डी-कंपोजर का उपयोग कर सकते हैं। यह एक किफायती और पर्यावरणीय रूप से सुरक्षित तरीका है। 200 लीटर पानी में 2 किलो गुड़ और 2 किलो चने का बेसन मिलाकर एक घोल तैयार करें। इस घोल में 20 ग्राम बायो डी-कंपोजर मिलाकर 2-3 दिन तक दिन में दो बार 5-10 मिनट के लिए चलाएं। 10 दिन बाद इसमें बुलबुले उठने लगेंगे, जिसका मतलब है कि कल्चर तैयार हो गया है। इस तैयार घोल को 10 लीटर की मात्रा में 1 एकड़ धान की पैरा पर छिड़काव करने से पैरा को खाद में परिवर्तित किया जा सकता है।
कृषि विभाग ने जिले के सभी किसान भाइयों के लिए ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी के माध्यम से वेस्ट डी-कंपोजर का वितरण कराया है। सभी किसान भाइयों से अनुरोध है कि संबंधित ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी से संपर्क कर बायो डी-कंपोजर प्राप्त करें। इस विधि से पैरा जलाने से होने वाले प्रदूषण से बचा जा सकता है और साथ ही मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ती है।
कलेक्टर श्री दीपक सोनी के निर्देशानुसार कृषि विभाग ने किसानों से पैरा न जलाने की अपील की है और पैरा के उचित प्रबंधन की सलाह दी है, जिससे पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।