ओबीसी की जातीवार जनगणना से ही होगा सामाजिक न्याय -प्रा.लक्ष्मण यादवगोंदिया  मे हुवा मंडल यात्रा का भव्य समापन१० ओबीसी शिलेदारो का हुवा सम्मान

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गोंदिया, – हर साल की तरह, नागपूर के संविधान चौक से निकली मंडल यात्रा विदर्भ के जिलो का भ्रमण करते हुये ७ अगस्त 2024 को ग्रीन लैंड लाॅन, बालाघाट टी पॉइंट, गोंदिया में पहुची.इस समारोपीय कार्यक्रम मे मुख्य वक्ता के रुप बोलते हुये ओबीसी बहुजन समाज  के विचारंवत एंव नई दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रा.लक्ष्मण यादव ने कही की जबतक जातियों का डेटा सामने नहीं आएगा तब तक कैसे तय होगा कि देश की प्रगति में किसकी कितनी भागीदारी हो। सामाजिक न्याय के कार्यक्रमों में किसको क‍ितना हक म‍िले। सामाजिक न्याय के लिये जातीवार जनगणना इसलिये बहोत जरुरी है.आज हमारे समाज मे क्रीम ही नही तो लेयर कैसा एैसा सवाल खडा करते हुये न्यायपालिका मे हो परिवारवाद भी टिप्पणी की.

 मंडल यात्रा जागरूकता कार्यक्रम के समापन कार्यक्रम की अध्यक्षता ओबीसी सेवा संघ गोंदिया जिला अध्यक्ष प्रो. बी.एम. करमकर इन्होने की.मुख्य वक्ता के रूप में नई दिल्ली विश्वविद्यालय के प्राचार्य ओबीसी बहुजन विचारक प्रा.लक्ष्मण यादव एंव ओबीसी सेवा संघ के अध्यक्ष इंजी. प्रदीप ढोबले,यात्रा का नेतृत्व करनेवाले ओबीसी युवा अधिकार मंच के संयोजक उमेश कोर्रम,आयोजक ओबीसी अधिकार मंच के खेमेंद्र कटरे,सतिश मालेकर,रवी अंबुले,प्रा.सविता बेदरकर,भंडारा ओबीसी सेवा संघ से श्री उरकुडे आदी मान्यवर मंचासिन थे. आगे बोलते हुये प्रा.लक्ष्मण यादव बोले की केंद्र सरकार के मंत्रालय में अतिरिक्त सचिवों में एक भी सचिव OBC नहीं है। – वहीं, सचिवों में 1 SC हैं, जबकि 3 ST से हैं। – संयुक्त सचिव के पद पर 4% SC, 3% ST और 7% OBC तैनात हैं। यह तो अध‍िकार‍ियों की बात हो गई। अब आप श‍िक्षा क्षेत्र के आंकड़े देख‍िए- – 2021-22 में IIT और केंद्रीय विश्वविद्यालयों में SC-ST, OBC फैकल्टी के 70% पद खाली रह गए। – केंद्रीय विश्वविद्यालयों में केवल 1 कुलपति SC समुदाय से, 1 ST समुदाय से और 7 OBC समुदाय से हैं। – केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 2 रजिस्ट्रार SC समुदाय के, 5 ST समुदाय के और 3 OBC समुदाय के हैं। आपको यह आंकड़े देखकर समझ आ गया होगा कि स्थिति कितनी भयावह है। मोदी सरकार OBC समुदाय का वोट तो लेती है लेक‍िन उन्‍हें ताकत नहीं देती, उनके ल‍िए काम नहीं करती। जातियों का डेटा होगा तो जिसकी जितनी आबादी है उसे उतना हक मिल सकेगा, लेक‍िन मोदी सरकार यह नहीं चाहती। इसलिये सभी को आगे आकर जातिगत जनगणना की मागं के  लिये दबाव बनाने की  जरुरत है.इस अवसर पर ओबीसी सेवा संघ के अध्यक्ष इंजि.प्रदिप ढोबले,ओबीसी युवा अधिकार मंच के उमेश कोर्राम इन्होने भी विचार व्यक्त किये.प्रस्तावना ओबीसी अधिकार मंंच के सयोंजक  खेमेंद्र कटरे नी रखी. इस कार्यक्रम मे २६ जूलाई 1998 में प्रारंभ हुये ओबीसी संघटन की नीव गोरेगाव तहसील मे खेमेंद्र कटरे इनके नेतृत्व मे रखी गयी थी.तबसे सुरु इस ओबीसी आंदोलन ने आज तक ओबीसी के अलग अलग बॅनरपर आंदोलन कर जिले मे समाज जागृती का कार्य किया.इस आंदोलन की सुरवात मे जिन ओबीसी शिलेदारोने समाज का विरोध सहन कर ओबीसी संंगठन को बढाने के लिये सर्वोत्तोपरी मदत कर काम किया उसमे से १० शिलेदारा का सम्मान किया गया,जिसमे स्व.पेमेंद्र चव्हाण(मरणोपंरात),  विनोद चव्हाण,रमेश ब्राम्हणकर,प्रेम साठवणे,माधव फुंडे,प्रा.राजेंद्र पटले, उमाशंकर ठाकुर,चौकलाल येडे,कृष्णा बहेकार, एकनाथ साठवणे, उद्धव मेहंदले इनका समावेश था.संचालन सावन कटरे एव श्री हुमे सर इन्होने किया आभार इंजि.राजीव ठकरेले इन्होने माना.कार्यक्रम मे ओबीसी समुदाय सदस्य बढी संख्या मे उपस्थति थे.

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